स्थान Poetry (page 10)

जिगर-गुदाज़ मआ'नी समझ सको तो कहूँ

बेबाक भोजपुरी

क़रार पाते हैं आख़िर हम अपनी अपनी जगह

बासिर सुल्तान काज़मी

गिरफ़्त-ए-ज़ीस्त में हूँ क़ैद-ए-बे-हिसार में हूँ

बशीर अहमद बशीर

वो मक़ाम-ए-दिल-ओ-जाँ क्या होगा

बाक़ी सिद्दीक़ी

जुनूँ की राख से मंज़िल में रंग क्या आए

बाक़ी सिद्दीक़ी

जिसे भी देखिए प्यासा दिखाई देता है

बदीउज़्ज़माँ ख़ावर

पाते हैं कुछ कमी सी तस्वीर-ए-ज़िंदगी में

अज़ीज़ तमन्नाई

ये किस मक़ाम पे लाया गया ख़ुदाया मुझे

अज़ीज़ नबील

माना कि ज़िंदगी में है ज़िद का भी एक मक़ाम

अज़ीज़ हामिद मदनी

इस गुफ़्तुगू से यूँ तो कोई मुद्दआ नहीं

अज़ीज़ हामिद मदनी

आज मुक़ाबला है सख़्त मीर-ए-सिपाह के लिए

अज़ीज़ हामिद मदनी

जल्वे हवा के दोश ये कोई घटा के देख

अज़हर लखनवी

तमाम शख़्सियत उस की हसीं नज़र आई

अज़हर इनायती

ये किस मक़ाम पे पहुँचा है कारवान-ए-वफ़ा

अय्यूब साबिर

फ़रार के लिए जब रास्ता नहीं होगा

अतीक़ुल्लाह

नुमू-पज़ीर हूँ हर दम कि मुझ में दम है अभी

अता तुराब

ये हिकायत तमाम को पहुँची

असलम फ़र्रुख़ी

मैं इंहिमाक में ये किस मक़ाम तक पहुँचा

आसिम वास्ती

बनाई है तिरी तस्वीर मैं ने डरते हुए

आसिम वास्ती

आलम से बे-ख़बर भी हूँ आलम में भी हूँ मैं

असग़र गोंडवी

शिकवा न चाहिए कि तक़ाज़ा न चाहिए

असग़र गोंडवी

आलाम-ए-रोज़गार को आसाँ बना दिया

असग़र गोंडवी

हवा के अपने इलाक़े हवस के अपने मक़ाम

असअ'द बदायुनी

जो अक्स-ए-यार तह-ए-आब देख सकते हैं

असअ'द बदायुनी

कभी कभी तो इक ऐसा मक़ाम आया है

आरज़ू सहारनपुरी

अज़ल के दिन जिन्हें देखा था बज़्म-ए-हुस्न-ए-पिन्हाँ में

आरज़ू सहारनपुरी

उफ़ुक़ के ख़ूनीं धुँदलकों का सुब्ह नाम नहीं

अर्शी भोपाली

ज़िम्मेदारी

अरशद कमाल

मिले जो उस से तो यादों के पर निकल आए

अरशद अब्दुल हमीद

मिले जो उस से तो यादों के पर निकल आए

अरशद अब्दुल हमीद

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