पता Poetry (page 13)

हमारे बीच वो चुप-चाप बैठा रहता है

असलम आज़ाद

अजीब शख़्स है मुझ को तो वो दिवाना लगे

असलम आज़ाद

अपनी सदा की गूँज ही तुझ को डरा न दे

असलम अंसारी

दिल इक नई दुनिया-ए-मआनी से मिला है

अशफ़ाक़ हुसैन

कहाँ सर छुपाएँ पता ही नहीं

असग़र शमीम

''ख़ुश्क पत्ता है तो हवा से डर''

असग़र शमीम

कहाँ खो गए मेरे ग़म-ख़्वार अब

असग़र शमीम

बाहर का माहौल तो हम को अक्सर अच्छा लगता है

असग़र मेहदी होश

राहबर रहज़न न बन जाए कहीं इस सोच में

आरज़ू लखनवी

न कर तलाश-ए-असर तीर है लगा न लगा

आरज़ू लखनवी

क्यूँ किसी रह-रौ से पूछूँ अपनी मंज़िल का पता

आरज़ू लखनवी

दिल मुकद्दर है आईना-रू का

आरज़ू लखनवी

आराम के थे साथी क्या क्या जब वक़्त पड़ा तो कोई नहीं

आरज़ू लखनवी

पूछा सबा से उस ने पता कू-ए-यार का

अरशद अली ख़ान क़लक़

परतव पड़ा जो आरिज़-ए-गुलगून-ए-यार का

अरशद अली ख़ान क़लक़

हैराँ हूँ कि ये कौन सा दस्तूर-ए-वफ़ा है

अर्श सिद्दीक़ी

रहगुज़र रहगुज़र से पूछ लिया

अर्श मलसियानी

नज़र के सामने सहरा-ए-बे-पनाही है

अरमान नज्मी

तुम्हें खोजती हैं जो आँखें

आरिफ़ा शहज़ाद

गिर्हें खुलती नहीं

आरिफ़ा शहज़ाद

दिया जलाएगी तू और मैं बुझाऊँगा

आरिफ़ इशतियाक़

'आरिफ़' अज़ल से तेरा अमल मोमिनाना था

आरिफ़ अब्दुल मतीन

ख़त्म हर अच्छा बुरा हो जाएगा

अनवर शऊर

इस में क्या शक है कि आवारा हूँ मैं

अनवर शऊर

जो फूल झड़ गए थे जो आँसू बिखर गए

अनवर सदीद

दुश्मन तो मेरे तन से लहू चूसता रहा

अनवर सदीद

पराया कौन है और कौन अपना सब भुला देंगे

अनवर जलालपुरी

ये दिल ही जानता है फिर कहाँ कहाँ भटके

अनुभव गुप्ता

ये अलामत कौन सी है किस से पूछूँ ऐ हवा

अनसर अली अनसर

जुर्म ठहरा हाल से आगे का नक़्शा देखना

अनसर अली अनसर

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