पत्थर Poetry (page 15)

ख़ैर का तुझ को यक़ीं है और उस को शर का है

सलीम अहमद

देखने के लिए इक शर्त है मंज़र होना

सलीम अहमद

सड़क बन रही है

सलाम मछली शहरी

आज फिर ये कह रहा हूँ

सलाम मछली शहरी

घर में साक़ी-ए-मस्त के चल के

सख़ी लख़नवी

हर्फ़-ए-तहज्जी सीख रहा हूँ

शख़ावत शमीम

हमें तो हर्फ़-ए-तमन्ना ज़बाँ पे लाना है

सज्जाद सय्यद

आरज़ूओं का हसीं पैकर तराश

सज्जाद सय्यद

क्या मिला ऐ ज़िंदगी क़ानून-ए-फ़ितरत से मुझे

सज्जाद बाक़र रिज़वी

इश्क़ तो सारी उम्र का इक पेशा निकला

सज्जाद बाक़र रिज़वी

दिल की बिसात पे शाह प्यादे कितनी बार उतारोगे

सज्जाद बाक़र रिज़वी

इक हवा उट्ठेगी सारे बाल-ओ-पर ले जाएगी

सज्जाद बाबर

ऐसी आग फ़लक से बरसेगी इक दिन

साजिद हमीद

यादों की गूँज ज़ेहन से बाहर निकालिए

सैफ़ ज़ुल्फ़ी

सीने की आग आतिश-ए-महशर हो जिस तरह

सैफ़ ज़ुल्फ़ी

साए जो संग-ए-राह थे रस्ते से हट गए

सैफ़ ज़ुल्फ़ी

सुख़न-वर हूँ सुख़न-फ़हमी की लज़्ज़त बाँट देता हूँ

सईद इक़बाल सादी

ख़ून फिर ख़ून है

साहिर लुधियानवी

दीवारों का जंगल जिस का आबादी है नाम

साहिर लुधियानवी

भूले से मोहब्बत कर बैठा, नादाँ था बेचारा, दिल ही तो है

साहिर लुधियानवी

तैरेगा फ़ज़ा में जो समुंदर न मिलेगा

साहिर होशियारपुरी

आज कुआँ भी चीख़ उठा है

साहिल अहमद

धूप थी साया उठा कर रख दिया

साहिल अहमद

आँख से आँसू टपका होगा

साहिल अहमद

इक बर्फ़ का दरिया अंदर था

साहिबा शहरयार

साँप सपेरा और मैं

सहबा अख़्तर

पागल औरत

सहबा अख़्तर

यूँ भी हुआ इक अर्से तक इक शे'र न मुझ से तमाम हुआ

सहबा अख़्तर

कुल जहाँ इक आईना है हुस्न की तहरीर का

सहबा अख़्तर

असनाम-ए-माल-ओ-ज़र की परस्तिश सिखा गई

सहबा अख़्तर

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