कदम Poetry (page 21)

क़ैद में रक्खा गया क़तरा तो ग़लताँ हो गया

रशीद कौसर फ़ारूक़ी

ताल सोचें न समुंदर सोचें

रशीद एजाज़

सामने जी सँभाल कर रखना

रसा चुग़ताई

अपनी बे-चेहरगी में पत्थर था

रसा चुग़ताई

सर से उतरे नहीं फूल मंज़िल की धुन हम-सफ़र बात सुन

रऊफ़ अमीर

शब-ए-ग़म की सहर नहीं होती

राम कृष्ण मुज़्तर

फिर कोई ख़लिश नज़्द-ए-राग-ए-जाँ तो नहीं है

राम कृष्ण मुज़्तर

मुस्तक़िल दीद की ये शक्ल नज़र आई है

राम कृष्ण मुज़्तर

दिल-ओ-नज़र में न पैदा हुई शकेबाई

राम कृष्ण मुज़्तर

रू-पोश आँख से कोई ख़ुशबू लिबास है

राम अवतार गुप्ता मुज़्तर

दर्द सारे शब-ए-ख़ामोश में गिर जाते हैं

रजनीश सचन

रक़्स

राजेन्द्र मनचंदा बानी

वो जिसे अब तक समझता था मैं पत्थर, सामने था

राजेन्द्र मनचंदा बानी

तुझे ज़रा दुख और सिसकने वाला मैं

राजेन्द्र मनचंदा बानी

न जाने कल हों कहाँ साथ अब हवा के हैं

राजेन्द्र मनचंदा बानी

मुझ से इक इक क़दम पर बिछड़ता हुआ कौन था

राजेन्द्र मनचंदा बानी

मैं चुप खड़ा था तअल्लुक़ में इख़्तिसार जो था

राजेन्द्र मनचंदा बानी

दमक रहा था बहुत यूँ तो पैरहन उस का

राजेन्द्र मनचंदा बानी

कुछ इस क़दर मैं ख़िरद के असर में आ गया हूँ

राजेश रेड्डी

दुनिया से, जिस से आगे का सोचा नहीं गया

राजेश रेड्डी

किस तरह पर ऐसे बद-ख़ू से सफ़ाई कीजिए

रजब अली बेग सुरूर

हमें हमारी बीवियों से बचाओ

राजा मेहदी अली ख़ाँ

ज़ौक़-ए-सुजूद ले गया मुझ को कहाँ कहाँ

राज कुमार सूरी नदीम

वो बाम पे फिर जल्वा-नुमा मेरे लिए है

राज कुमार सूरी नदीम

नवा-ए-दिल ने करिश्मे दिखाए हैं क्या क्या

राज कुमार क़ैस

घर में सहरा है तो सहरा को ख़फ़ा कर देखो

रईस फ़रोग़

ये कर्बला है नज़्र-ए-बला हम हुए कि तुम

रईस अमरोहवी

सियाह है दिल-ए-गीती सियाह-तर हो जाए

रईस अमरोहवी

सियाह है दिल-ए-गीती सियाह-तर हो जाए

रईस अमरोहवी

मुक़र्रेबीन में रम्ज़-आशना कहाँ निकले

रईस अमरोहवी

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