वर्ष Poetry (page 9)

छटी है राह से गर्द-ए-मलाल मेरे लिए

हमदम कशमीरी

अमरद-परस्त है तो गुलिस्ताँ की सैर कर

हैदर अली आतिश

कोई इश्क़ में मुझ से अफ़्ज़ूँ न निकला

हैदर अली आतिश

हंगाम-ए-नज़'अ महव हूँ तेरे ख़याल का

हैदर अली आतिश

इक अजनबी के हाथ में दे कर हमारा हाथ

हफ़ीज़ मेरठी

ख़ुद-ब-ख़ुद आँख बदल कर ये सवाल अच्छा है

हफ़ीज़ जौनपुरी

ख़ुद-बख़ुद आँख बदल कर ये सवाल अच्छा है

हफ़ीज़ जौनपुरी

'हफ़ीज़' वस्ल में कुछ हिज्र का ख़याल न था

हफ़ीज़ जौनपुरी

ग़ज़लें तो कही हैं कुछ हम ने उन से न कहा अहवाल तो क्या

हबीब जालिब

ग़ज़लें तो कही हैं कुछ हम ने उन से न कहा अहवाल तो क्या

हबीब जालिब

जबीन पर क्यूँ शिकन है ऐ जान मुँह है ग़ुस्से से लाल कैसा

हबीब मूसवी

भला हो जिस काम में किसी का तो उस में वक़्फ़ा न कीजिएगा

हबीब मूसवी

ख़ुश-नज़र है न ख़ुश-ख़याल है ये

हबाब तिर्मिज़ी

वो उम्र कम कर रहा था मेरी

गुलज़ार

शाख़ें

गुलज़ार

वो ख़त के पुर्ज़े उड़ा रहा था

गुलज़ार

रखता नहीं है दश्त सरोकार आब से

ग़ुलाम मुर्तज़ा राही

उम्मीद की सूखती शाख़ों से सारे पत्ते झड़ जाएँगे

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

हर साल की आख़िरी शामों में दो चार वरक़ उड़ जाते हैं

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

हर साल बहार से पहले मैं पानी पर फूल बनाता हूँ

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

कहफ़-उल-क़हत

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

ये जहाँ-नवर्द की दास्ताँ ये फ़साना डोलते साए का

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

सोते हैं वो आईना ले कर ख़्वाबों में बाल बनाते हैं

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

मिलने की हर आस के पीछे अन-देखी मजबूरी थी

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

लब पे सुर्ख़ी की जगह जो मुस्कुराहट मल रहे हैं

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

ख़ामोश थे तुम और बोलता था बस एक सितारा आँखों में

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

बारूद के बदले हाथों में आ जाए किताब तो अच्छा हो

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

कोई कैसा ही साबित हो तबीअ'त आ ही जाती है

ग़ुलाम मौला क़लक़

देखिए पाते हैं उश्शाक़ बुतों से क्या फ़ैज़

ग़ालिब

वो फ़िराक़ और वो विसाल कहाँ

ग़ालिब

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