साथ Poetry (page 52)

वक़्त अजीब चीज़ है वक़्त के साथ ढल गए

हसन आबिद

मुझे किसी से किसी बात का गिला ही नहीं

हसन आबिद

हुस्न-ए-मुख़्तार सही इश्क़ भी मजबूर नहीं

हसन आबिद

अली-मोहसिन एम.बी.ए, ख़ालिद-बिन-वलीद रोड

हारिस ख़लीक़

रहे दो दो फ़रिश्ते साथ अब इंसाफ़ क्या होगा

हरी चंद अख़्तर

मिलेगी शैख़ को जन्नत, हमें दोज़ख़ अता होगा

हरी चंद अख़्तर

वो मद प्याले लुंढाते ही रहे बस

हरबंस लाल अनेजा 'जमाल'

सैद को रश्क-ए-चमन दाम ने रहने न दिया

हक़ीर जहानी

दुश्मन हैं वो भी जान के जो हैं हमारे लोग

हक़ीर

रिश्ते नाते टूटे फूटे लगे हैं

हनीफ़ तरीन

डोर के अगले सिरे पर तन्हा हूँ

हनीफ़ तरीन

उस के गुलाबी होंट तो रस में बसे लगे

हनीफ़ तरीन

सिमटती शाम अगर दर्द को जगाएगी

हनीफ़ तरीन

ख़िज़ाँ में ओढ़ के क़ौल-ओ-क़रार का मौसम

हनीफ़ तरीन

आँखों पर पलकों का बोझ नहीं होता

हनीफ़ तरीन

वो इक जगह न कहीं रह सका और उस के साथ

हनीफ़ नज्मी

कुशूद-ए-कार की ख़ातिर ख़ुदा बदलते रहे

हनीफ़ नज्मी

हर इक कमाल को देखा जो हम ने रू ब-ज़वाल

हनीफ़ कैफ़ी

वो दिल में और क़रीब-ए-रग-ए-गुलू भी मिले

हनीफ़ अख़गर

इश्क़ में दिल का ये मंज़र देखा

हनीफ़ अख़गर

वो निगह जब मुझे पुकारती थी

हम्माद नियाज़ी

जिस की सौंधी सौंधी ख़ुशबू आँगन आँगन पलती थी

हम्माद नियाज़ी

सहर-ना-आश्ना कोई नहीं है

हामिदी काश्मीरी

परदेसी

हमीदा शाहीन

ग़म-गुसार

हमीदा शाहीन

मिरी दुनिया का मेहवर मुख़्तलिफ़ है

हमीदा शाहीन

घूम रहे हैं आँगन आँगन चाँद हवा और मैं

हामिद यज़दानी

पोशीदा अजब ज़ीस्त का इक राज़ है मुझ में

हामिद मुख़्तार हामिद

ख़ाक पर फेंका हवाओं ने उठा ले मुझ को

हामिद जीलानी

कोई नहीं था हुनर-आश्ना तुम्हारे बा'द

हामिद इक़बाल सिद्दीक़ी

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