साथ Poetry (page 51)

दोपहर रात आ चुकी हीला-बहाना हो चुका

हातिम अली मेहर

लुत्फ़ आराम का तू क्या जाने

हस्तीमल हस्ती

छुप के उस ने जो ख़ुद-नुमाई की

हसरत मोहानी

काफ़िर-ए-इश्क़ हूँ ऐ शैख़ पे ज़िन्हार नहीं

हसरत अज़ीमाबादी

आश्ना कब हो है ये ज़िक्र दिल-ए-शाद के साथ

हसरत अज़ीमाबादी

भरे सफ़र में घड़ी-भर का आश्ना न मिला

हसनैन जाफ़री

तुम्हारे साथ ये झूटे फ़क़ीर रहते हैं

हसनैन आक़िब

फ़ैसला हिज्र का मंज़ूर भी हो सकता है

हाशिम रज़ा जलालपुरी

जो भी यहाँ हुआ वो बहुत ही बुरा हुआ

हसीर नूरी

तय मुझ से ज़िंदगी का कहाँ फ़ासला हुआ

हसन निज़ामी

रुत है ऐसी कि दर-ओ-बाम न साए होंगे

हसन निज़ामी

जुदाई भी क़राबत की तरह थी

हसन निज़ामी

बे-इल्तिफ़ाती

हसन नईम

पैकर-ए-नाज़ पे जब मौज-ए-हया चलती थी

हसन नईम

ख़्वाब की राह में आए न दर-ओ-बाम कभी

हसन नईम

चेहरे पे मोहर-ए-ग़म है ख़त-ओ-ख़ाल की तरह

हसन नईम

चेहरे पे मोहर-ए-ग़म है ख़त-ओ-ख़ाल की तरह

हसन नईम

मौसम का ज़ुल्म सहते हैं किस ख़ामुशी के साथ

हसन नज्मी सिकन्दरपुरी

हर ज़ख़्म-ए-दिल से अंजुमन-आराई माँग लो

हसन नज्मी सिकन्दरपुरी

कल ख़्वाब में देखा सखी मैं ने पिया का गाँव रे

हसन कमाल

झुलसे बदन न सुलगें आँखें ऐसे हैं दिन-रात मिरे

हसन कमाल

दश्त में फूल खिला रक्खा है

हसन जमील

वो मन गए तो वस्ल का होगा मज़ा नसीब

हसन बरेलवी

चश्म-ए-जुनूँ में हुस्न-ए-सलासिल है बे-क़रार

हसन बख़्त

सीने में चराग़ जल रहा है

हसन अख्तर जलील

ख़ला के दश्त में ये तुर्फ़ा माजरा भी है

हसन अख्तर जलील

हुनर जो तालिब-ए-ज़र हो हुनर नहीं रहता

हसन अकबर कमाल

ग़ज़ल में हुस्न का उस के बयान रखना है

हसन अकबर कमाल

सुब्ह आँख खुलती है एक दिन निकलता है

हसन आबिदी

गुलाब-ए-सुर्ख़ से आरास्ता दालान करना है

हसन अब्बास रज़ा

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