रिश्ते नाते टूटे फूटे लगे हैं
जब भी अपना साया साथ नहीं होता
Anwar Masood
Habib Jalib
Faiz Ahmad Faiz
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Rahat Indori
Jaun Eliya
Wasi Shah
Parveen Shakir
Allama Iqbal
Gulzar
Ahmad Faraz
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सुलगती याद से ख़ूँ अट न जाए
सिमटती शाम अगर दर्द को जगाएगी
रेत पर जलते हुए देख सराबों के चराग़
साँप का साया ख़्वाब मेरे डस जाता है
आइए आसमाँ की ओर चलें
एहसास-ए-ना-रसाई से जिस दम उदास था
दो-धारी तलवार
बस्ती के हस्सास दिलों को चुभता है
दिल गिराँ-बारी-ए-वहशत में जिधर जाता है
धरती का उपहार मिला जब
महफ़िल में फूल ख़ुशियों के जो बाँटता रहा