महफ़िल में फूल ख़ुशियों के जो बाँटता रहा
तन्हाई में मिला तो बहुत ही उदास था
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''जब तर्सील बटन तक पहुँची''
आँखों पर पलकों का बोझ नहीं होता
रिश्ते नाते टूटे फूटे लगे हैं
दो-धारी तलवार
बस्ती के हस्सास दिलों को चुभता है
जिन का यक़ीन राह-ए-सुकूँ की असास है
उस के गुलाबी होंट तो रस में बसे लगे
आइए आसमाँ की ओर चलें
''ख़्वाहिश बाज़ू फैलाती है''
धरती का उपहार मिला जब
सिमटती शाम अगर दर्द को जगाएगी
एहसास-ए-ना-रसाई से जिस दम उदास था