सबा Poetry (page 12)

ये कौन आ गई दिल-रुबा महकी महकी

हसरत जयपुरी

ऐ सबा मैं भी था आशुफ़्ता-सरों में यकता

हसन नईम

ख़ेमा-ए-याद

हसन नईम

सुब्ह-ए-तरब तो मस्त-ओ-ग़ज़ल-ख़्वाँ गुज़र गई

हसन नईम

ख़्वाब ठहरा सर-ए-मंज़िल न तह-ए-बाम कभी

हसन नईम

ख़्वाब की राह में आए न दर-ओ-बाम कभी

हसन नईम

इश्क़ को पास-ए-वफ़ा आज भी करते देखा

हसन नज्मी सिकन्दरपुरी

वो मन गए तो वस्ल का होगा मज़ा नसीब

हसन बरेलवी

ख़ला के दश्त में ये तुर्फ़ा माजरा भी है

हसन अख्तर जलील

शहर-ए-ना-पुरसाँ में कुछ अपना पता मिलता नहीं

हसन आबिदी

सीने की ख़ानक़ाह में आने नहीं दिया

हसन अब्बास रज़ा

कलियों का तबस्सुम हो, कि तुम हो कि सबा हो

हरी चंद अख़्तर

जिस ज़मीं पर तिरा नक़्श-ए-कफ़-ए-पा होता है

हरी चंद अख़्तर

रात के दर पे ये दस्तक ये मुसलसल दस्तक

हनीफ़ फ़ौक़

मिरी हयात अगर मुज़्दा-ए-सहर भी नहीं

हनीफ़ फ़ौक़

सुब्ह चले तो ज़ौक़-ए-तलब था अर्श-निशाँ ख़ुर्शीद-शिकार

हमीद नसीम

अब मिरा दर्द न तेरा जादू

हमीद नसीम

किस वहम में असीर तिरे मुब्तला हुए

हमीद जालंधरी

याद माज़ी के चराग़ों को बुझाया न करो

हमीद अलमास

रख दिया है मिरी दहलीज़ पे पत्थर किस ने

हमीद अलमास

फिर किसी याद का दरवाज़ा खुला आहिस्ता

हमीद अलमास

दर्द को रहने भी दे दिल में दवा हो जाएगी

हकीम मोहम्मद अजमल ख़ाँ शैदा

सुन तो सही जहाँ में है तेरा फ़साना क्या

हैदर अली आतिश

काबा ओ दैर में है किस के लिए दिल जाता

हैदर अली आतिश

इस शश-जिहत में ख़ूब तिरी जुस्तुजू करें

हैदर अली आतिश

हसरत-ए-जल्वा-ए-दीदार लिए फिरती है

हैदर अली आतिश

बाद-ए-सबा ये ज़ुल्म ख़ुदा-रा न कीजियो

हफ़ीज़ मेरठी

कहाँ कहाँ न तसव्वुर ने दाम फैलाए

हफ़ीज़ होशियारपुरी

मुद्दत की तिश्नगी का इनआ'म चाहता हूँ

हफ़ीज़ बनारसी

ज़ुल्मत को ज़िया सरसर को सबा बंदे को ख़ुदा क्या लिखना

हबीब जालिब

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