सहर Poetry (page 38)

उलझे काँटों से कि खेले गुल-ए-तर से पहले

अली सरदार जाफ़री

तख़्लीक़ पे फ़ितरत की गुज़रता है गुमाँ और

अली सरदार जाफ़री

शाख़-ए-गुल है कि ये तलवार खिंची है यारो

अली सरदार जाफ़री

शबों की ज़ुल्फ़ की रू-ए-सहर की ख़ैर मनाओ

अली सरदार जाफ़री

सर्द हैं दिल आतिश-ए-रू-ए-निगाराँ चाहिए

अली सरदार जाफ़री

मौसम-ए-रंग भी है फ़स्ल-ए-ख़िज़ाँ भी तारी

अली सरदार जाफ़री

कितनी आशाओं की लाशें सूखें दिल के आँगन में

अली सरदार जाफ़री

फ़रोग़-ए-दीदा-ओ-दिल लाला-ए-सहर की तरह

अली सरदार जाफ़री

फ़रोग़-ए-दीदा-ओ-दिल लाला-ए-सहर की तरह

अली सरदार जाफ़री

बैठे हैं जहाँ साक़ी पैमाना-ए-ज़र ले कर

अली सरदार जाफ़री

आँधियाँ चलती रहें अफ़्लाक थर्राते रहे

अली सरदार जाफ़री

मेहमान-दारी

अली मंज़ूर हैदराबादी

एक तुम्हारी याद ने लाख दिए जलाए हैं

अली जव्वाद ज़ैदी

ज़ुल्मत-कदों में कल जो शुआ-ए-सहर गई

अली जव्वाद ज़ैदी

नींद आ गई थी मंज़िल-ए-इरफ़ाँ से गुज़र के

अली जव्वाद ज़ैदी

मंज़िल-ए-दिल मिली कहाँ ख़त्म-ए-सफ़र के बाद भी

अली जव्वाद ज़ैदी

इक आह-ए-ज़ेर-ए-लब के गुनहगार हो गए

अली जव्वाद ज़ैदी

अँधेरी शब का ये ख़्वाब-मंज़र मुझे उजालों से भर रहा है

अलीना इतरत

ये किस मुहिम पर चले थे हम जिस में रास्ते पुर-ख़तर न आए

अलीना इतरत

ख़िज़ाँ की ज़र्द सी रंगत बदल भी सकती है

अलीना इतरत

इक जुनूँ कहिए उसे जो मिरे सर से निकला

अलीम मसरूर

वो क्या गए पयाम-ए-सफ़र दे गए मुझे

अलीम अख़्तर

किस किस से दोस्ती हुई ये ध्यान में नहीं

आलमताब तिश्ना

गुज़रते दौड़ते लम्हे हिसाब में लिखिए

अकमल इमाम

ज़िंदगी का वक़्फ़ा

अख़्तर-उल-ईमान

यादें

अख़्तर-उल-ईमान

मताअ-ए-राएगाँ

अख़्तर-उल-ईमान

मस्जिद

अख़्तर-उल-ईमान

एक एहसास

अख़्तर-उल-ईमान

बिंत-ए-लम्हात

अख़्तर-उल-ईमान

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