शाखा Poetry (page 4)

दिल के सहरा में बड़े ज़ोर का बादल बरसा

ताब असलम

जोश पर थीं सिफ़त-ए-अब्र-ए-बहारी आँखें

तअशशुक़ लखनवी

हर-सू ख़ुशबू को फ़ज़ाओं में बिखरता देखूँ

सय्यदा नफ़ीस बानो शम्अ

ले के अपनी ज़ुल्फ़ को वो प्यारे प्यारे हाथ में

सय्यद यूसुफ़ अली खाँ नाज़िम

ईद की ख़रीदारी

सय्यद मोहम्मद जाफ़री

वजूद को जिगर-ए-मो'तबर बनाते हैं

सय्यद अमीन अशरफ़

मलाल-ए-ग़ुंचा-ए-तर जाएगा कभी न कभी

सय्यद अमीन अशरफ़

ख़िरद ऐ बे-ख़बर कुछ भी नहीं है

सय्यद अमीन अशरफ़

हल्क़ा-ए-शाम-ओ-सहर से नहीं जाने वाला

सय्यद अमीन अशरफ़

जागते में रात मुझ को ख़्वाब दिखलाया गया

सय्यद अहमद शमीम

किसी की इश्वा-गरी से ब-ग़ैर-ए-फ़स्ल-ए-बहार

सय्यद आबिद अली आबिद

चैन पड़ता है दिल को आज न कल

सय्यद आबिद अली आबिद

गुलज़ार-ए-वतन

सुरूर जहानाबादी

साँस उखड़ी हुई सूखे हुए लब कुछ भी नहीं

सुल्तान अख़्तर

ख़ाना-बर्बाद हुए बे-दर-ओ-दीवार रहे

सुल्तान अख़्तर

शनाख़्त मिट गई चेहरे पे गर्द इतनी थी

सुलेमान ख़ुमार

नहीं जो तेरी ख़ुशी लब पे क्यूँ हँसी आए

सुलैमान अरीब

आज भी हाथ पे है तेरे पसीने की तरी

सुलैमान अरीब

सफ़र करो तो इक आलम दिखाई देता है

सुहैल अहमद ज़ैदी

तिरी याद जो मेरे दिल में है बस उसी की जल्वागरी रही

सूफ़िया अनजुम ताज

साज़ के मौजों पे नग़्मों की सवारी मैं थी

सूफ़िया अनजुम ताज

हर एक नक़्श तिरे पाँव का निशाँ सा है

सूफ़ी तबस्सुम

निगाह मुझ से मिलाने की उन में ताब नहीं

सिया सचदेव

आरज़ूओं को अना-गीर नहीं कर सकते

सिया सचदेव

ये वो आज़माइश-ए-सख़्त है कि बड़े बड़े भी निकल गए

सिराज लखनवी

कभी सम्त-ए-ग़ैब सीं क्या हुआ कि चमन ज़ुहूर का जल गया

सिराज औरंगाबादी

यक निगह सें लिया है वो गुलफ़ाम

सिराज औरंगाबादी

सनम ख़ुश तबईयाँ सीखे हो तुम किन किन ज़रीफ़ों सीं

सिराज औरंगाबादी

ख़बर-ए-तहय्युर-ए-इश्क़ सुन न जुनूँ रहा न परी रही

सिराज औरंगाबादी

इश्क़ ने ख़ूँ किया है दिल जिस का

सिराज औरंगाबादी

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