शाम Poetry (page 41)

मिरे मुद्दआ-ए-उल्फ़त का पयाम बन के आई

ग़ुबार भट्टी

दर्द के चाँद की तस्वीर ग़ज़ल में आए

ग़यास अंजुम

मुखड़ा वो बुत जिधर करेगा

ग़मगीन देहलवी

हवा के होंट खुलें साअत-ए-कलाम तो आए

ग़ालिब अयाज़

काव काव-ए-सख़्त-जानी हाए-तन्हाई न पूछ

ग़ालिब

तपिश से मेरी वक़्फ़-ए-कशमकश हर तार-ए-बिस्तर है

ग़ालिब

सब कहाँ कुछ लाला-ओ-गुल में नुमायाँ हो गईं

ग़ालिब

नक़्श फ़रियादी है किस की शोख़ी-ए-तहरीर का

ग़ालिब

जादा-ए-रह ख़ुर को वक़्त-ए-शाम है तार-ए-शुआअ'

ग़ालिब

गुलशन में बंदोबस्त ब-रंग-ए-दिगर है आज

ग़ालिब

गर न अंदोह-ए-शब-ए-फ़ुर्क़त बयाँ हो जाएगा

ग़ालिब

सुब्हों जैसे लोग

गीताञ्जलि राय

मता-ए-इश्क़ ज़रा और सर्फ़-ए-नाज़ तो हो

गौहर होशियारपुरी

मैं ख़ुद ही ख़ूगर-ए-ख़लिश-ए-जुस्तुजू न था

गौहर होशियारपुरी

इक साया-ए-शाम याद आया

गौहर होशियारपुरी

सुब्ह हैं सज्दे में हम तो शाम साक़ी के हुज़ूर

गणेश बिहारी तर्ज़

दोस्ती अपनी जगह और दुश्मनी अपनी जगह

गणेश बिहारी तर्ज़

दोस्ती अपनी जगह और दुश्मनी अपनी जगह

गणेश बिहारी तर्ज़

अहल-ए-दिल के वास्ते पैग़ाम हो कर रह गई

गणेश बिहारी तर्ज़

सर-ए-सहरा-ए-दुनिया फूल यूँ ही तो नहीं खिलते

फ़ुज़ैल जाफ़री

निभेगी किस तरह दिल सोचता है

फ़ुज़ैल जाफ़री

ख़ून पलकों पे सर-ए-शाम जमेगा कैसे

फ़ुज़ैल जाफ़री

भूले-बिसरे हुए ग़म फिर उभर आते हैं कई

फ़ुज़ैल जाफ़री

आठों पहर लहू में नहाया करे कोई

फ़ुज़ैल जाफ़री

ये नहीं कसरत-ए-आलाम से जल जाते हैं

फ़ितरत अंसारी

शाम-ए-अयादत

फ़िराक़ गोरखपुरी

परछाइयाँ

फ़िराक़ गोरखपुरी

जुगनू

फ़िराक़ गोरखपुरी

जुदाई

फ़िराक़ गोरखपुरी

हिण्डोला

फ़िराक़ गोरखपुरी

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