तलवार Poetry (page 12)

ख़ौफ़-ओ-वहशत बर-सर-ए-बाज़ार रख जाता है कौन

अब्दुस्समद ’तपिश’

हक़ मिरा मुझ को मिरे यार नहीं देते हैं

अब्दुश्शुकूर आसी

टूट कर देर तलक प्यार किया है मुझ को

अब्दुर्रहीम नश्तर

हर लम्हा मर्ग-ओ-ज़ीस्त में पैकार देखना

अब्दुल्लाह जावेद

म्याँ क्या हो गर अबरू-ए-ख़मदार को देखा

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

आँखों में मुरव्वत तिरी ऐ यार कहाँ है

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

दम-ब-दम मुझ पे चला कर तलवार

अब्दुल हमीद

एक मिश्अल थी बुझा दी उस ने

अब्दुल हमीद

साँस के हम-राह शो'ले की लपक आने को है

अब्बास ताबिश

रविश उस चाल में तलवार की है

आसी ग़ाज़ीपुरी

ओ सितमगर तिरी तलवार का धब्बा छट जाए

आग़ा अकबराबादी

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