तमन्ना Poetry (page 23)

बात अपनों की करूँ मैं किसी बेगाने से

गोपाल कृष्णा शफ़क़

दिल ने तमन्ना की थी जिस की बरसों तक

ग़ुलाम मुर्तज़ा राही

रात उस के सामने मेरे सिवा भी मैं ही था

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

कुछ बे-तरतीब सितारों को पलकों ने किया तस्ख़ीर तो क्या

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

जज़्बों को किया ज़ंजीर तो क्या तारों को किया तस्ख़ीर तो क्या

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

पी भी ऐ माया-ए-शबाब शराब

ग़ुलाम मौला क़लक़

मातम-ए-दीद है दीदार का ख़्वाहाँ होना

ग़ुलाम मौला क़लक़

दूरी में क्यूँ कि हो न तमन्ना हुज़ूर की

ग़ुलाम मौला क़लक़

लरज़ जाता है थोड़ी देर को तार-ए-नफ़स मेरा

ग़ुलाम हुसैन साजिद

फिर वही हम हैं ख़याल-ए-रुख़-ए-ज़ेबा है वही

ग़ुलाम भीक नैरंग

कभी सूरत जो मुझे आ के दिखा जाते हो

ग़ुलाम भीक नैरंग

ज़बाँ साकित हो क़त-ए-गुफ़्तुगू हो

ग़ुबार भट्टी

मिरे मुद्दआ-ए-उल्फ़त का पयाम बन के आई

ग़ुबार भट्टी

जल्वा-ए-हुस्न अगर ज़ीनत-ए-काशाना बने

ग़ुबार भट्टी

ये तमन्ना नहीं कि मर जाएँ

ग़ज़नफ़र

सदा ब-सहरा

ग़ालिब अहमद

तमाशा कि ऐ महव-ए-आईना-दारी

ग़ालिब

फूँका है किस ने गोश-ए-मोहब्बत में ऐ ख़ुदा

ग़ालिब

न सताइश की तमन्ना न सिले की परवा

ग़ालिब

मैं भला कब था सुख़न-गोई पे माइल 'ग़ालिब'

ग़ालिब

है कहाँ तमन्ना का दूसरा क़दम या रब

ग़ालिब

आशिक़ी सब्र-तलब और तमन्ना बेताब

ग़ालिब

सियाही जैसे गिर जाए दम-ए-तहरीर काग़ज़ पर

ग़ालिब

सादगी पर उस की मर जाने की हसरत दिल में है

ग़ालिब

रश्क कहता है कि उस का ग़ैर से इख़्लास हैफ़

ग़ालिब

फिर मुझे दीदा-ए-तर याद आया

ग़ालिब

नक़्श-ए-नाज़-ए-बुत-ए-तन्नाज़ ब-आग़ोश-ए-रक़ीब

ग़ालिब

न हुई गर मिरे मरने से तसल्ली न सही

ग़ालिब

मिरी हस्ती फ़ज़ा-ए-हैरत आबाद-ए-तमन्ना है

ग़ालिब

मत मर्दुमक-ए-दीदा में समझो ये निगाहें

ग़ालिब

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