तमन्ना Poetry (page 25)

कोई आँख चुपके चुपके मुझे यूँ निहारती है

फ़े सीन एजाज़

ख़्वाब गिरवी रख दिए आँखों का सौदा कर दिया

फ़ातिमा हसन

उस की दीवार पे मनक़ूश है वो हर्फ़-ए-वफ़ा

फ़सीह अकमल

किसी के सामने इस तरह सुर्ख़-रू होगी

फ़सीह अकमल

देखिए हालात के जोगी का कब टूटे शराप

फ़सीह अकमल

लकीरें

फर्रुख यार

और मैं चुप रहा

फ़ारूक़ नाज़की

शफ़क़-ए-शब से उभरता हुआ सूरज सोचें

फ़ारूक़ मुज़्तर

तुम्हारे क़स्र-आज़ादी के मेमारों ने क्या पाया

फ़ारूक़ बाँसपारी

कभी बे-नियाज़-ए-मख़्ज़न कभी दुश्मन-ए-किनारा

फ़ारूक़ बाँसपारी

दिल-ए-ईज़ा-तलब ले तेरा कहना कर लिया मैं ने

फ़ारूक़ बाँसपारी

हवास लूट लिए शोरिश-ए-तमन्ना ने

फ़ारिग़ बुख़ारी

जब तक चराग़-ए-शाम-ए-तमन्ना जले चलो

फ़रहत शहज़ाद

आई ख़िज़ाँ चमन में गए दिन बहार के

फ़रहत क़ादरी

शौक़-ए-बेहद ने किसी गाम ठहरने न दिया

फ़रहान सालिम

शौक़ आसूदा-ए-तहलील-ए-मुअम्मा न हुआ

फ़रहान सालिम

खो बैठी है सारे ख़द-ओ-ख़ाल अपनी ये दुनिया

फ़रहान सालिम

तमन्ना अपनी उन पर आश्कारा कर रहा हूँ मैं

फ़रीद परबती

जला के दामन-ए-हस्ती का तार तार उठा

फ़रीद इशरती

मिरे हम-रक़्स साए को बिल-आख़िर यूँही ढलना था

फ़रह इक़बाल

ख़ुद ही दिया जलाती हूँ

फ़रह इक़बाल

लबों के सामने ख़ाली गिलास रखते हैं

फ़राग़ रोहवी

तेरा निगाह-ए-शौक़ कोई राज़-दाँ न था

फ़ानी बदायुनी

ताकीद है कि दीदा-ए-दिल वा करे कोई

फ़ानी बदायुनी

मोहताज-ए-अजल क्यूँ है ख़ुद अपनी क़ज़ा हो जा

फ़ानी बदायुनी

कुछ कम तो हुआ रंज-ए-फ़रावान-ए-तमन्ना

फ़ानी बदायुनी

जीने की है उम्मीद न मरने का यक़ीं है

फ़ानी बदायुनी

दिल की काया ग़म ने वो पल्टी कि तुझ सा बन गया

फ़ानी बदायुनी

दिल की हर लर्ज़िश-ए-मुज़्तर पे नज़र रखते हैं

फ़ानी बदायुनी

बे-ज़ौक़-ए-नज़र बज़्म-ए-तमाशा न रहेगी

फ़ानी बदायुनी

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