तमन्ना Poetry (page 6)

कुफ़्र-ओ-ईमाँ से है क्या बहस इक तमन्ना चाहिए

सय्यद यूसुफ़ अली खाँ नाज़िम

वो जब आप से अपना पर्दा करें

सय्यद यूसुफ़ अली खाँ नाज़िम

साँस का अपनी रग-ए-जाँ से गुज़र होने तक

सय्यद तम्जीद हैदर तम्जीद

कैफ़-ए-सफ़र अब अपना हासिल

सय्यद सिद्दीक़ हसन

इक तमन्ना है ख़मोशी के कटहरे कितने

सय्यद शकील दस्नवी

इंसान की हालत पर अब वक़्त भी हैराँ है

सय्यद सग़ीर सफ़ी

जश्न बरबाद ख़यालों का मना लूँ तो चलूँ

सय्यद मुबीन अल्वी ख़ैराबादी

मिला जो ख़ार तो दिल में बिठा लिया मैं ने

सय्यद मोहम्मद ज़फ़र अशक संभली

कुछ इस तरह ग़म-ए-उल्फ़त की काएनात लुटी

सय्यद मोहम्मद ज़फ़र अशक संभली

दिल को तुम्हारे रंज की पर्वा बहुत रही

सय्यद काशिफ़ रज़ा

बेवफ़ा था तो नहीं वो, मगर ऐसा भी हुआ

सय्यद काशिफ़ रज़ा

दिल दुखा था मिरा ऐसा कि दिखाया न गया

सय्यद बशीर हुसैन बशीर

है किस के लिए लुत्फ़ ग़ज़ब किस के लिए है

सय्यद अमीन अशरफ़

फ़साद-ए-क़ल्ब-ओ-नज़र हासिल-ए-तमाशा देख

सय्यद अमीन अशरफ़

बे-लुत्फ़ है ये सोच कि सौदा नहीं रहा

सय्यद अमीन अशरफ़

अजीब शय है तरह-दार भी तमन्ना भी

सय्यद अमीन अशरफ़

कुछ एहतिराम भी कर ग़म की वज़्अ'-दारी का

सय्यद आबिद अली आबिद

कहो बुतों से कि हम तब्अ सादा रखते हैं

सय्यद आबिद अली आबिद

गुलों की ख़ूँ-शुदगी को शगुफ़्तगी न समझ

सय्यद आबिद अली आबिद

दिल है आईना-ए-हैरत से दो-चार आज की रात

सय्यद आबिद अली आबिद

हाल में अपने मगन हो फ़िक्र-ए-आइंदा न हो

सुरूर बाराबंकवी

अजब सी बद-हवासी छा रही है

सुनील कुमार जश्न

जो नज़र आता नहीं दीवार में दर और है

सुलतान रशक

जीने की तमन्ना है न मरने की तमन्ना

सुलतान निज़ामी

वहशत-ए-दस्त-ओ-गरेबाँ न तुझे है न मुझे

सुल्तान गौरी

तुझ को पाने के लिए ख़ाक-ए-तमन्ना हो जाऊँ

सुल्तान अख़्तर

रक़्स-ए-ताऊस-ए-तमन्ना नहीं होने वाला

सुल्तान अख़्तर

मुसीबत में भी ग़ैरत-आश्ना ख़ामोश रहती है

सुल्तान अख़्तर

कुछ डूबता उभरता सा रहता है सामने

सुल्तान अख़्तर

ख़्वाब आँखों से चुने नींद को वीरान किया

सुल्तान अख़्तर

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