भ्रम Poetry (page 5)

सूरज हूँ चमकने का भी हक़ चाहिए मुझ को

इक़बाल साजिद

मुझे नहीं है कोई वहम अपने बारे में

इक़बाल साजिद

क़ैद-ए-कौन-ओ-मकान से निकला

इक़बाल अासिफ़

भले आदमी कहीं बाज़ आ अरे उस परी के सुहाग से

इंशा अल्लाह ख़ान

तमाम फ़िक्र ज़माने की टाल देता है

इन्दिरा वर्मा

कोई बाग़ सा सजा हुआ मिरे सामने

इनाम नदीम

हर सम्त से उठता है धुआँ शहर के लोगो

इनाम हनफ़ी

जुज़ क़ुर्बत-ए-जाँ पर्दा-ए-जाँ कोई नहीं था

इफ्तिखार शफ़ी

कभी कभी तो ये हालत भी की मोहब्बत ने

इफ़्तिख़ार मुग़ल

साएबान

इफ़्तेख़ार जालिब

ज़मीं का दम निकलता जा रहा है

हुसैन आबिद

ज़मीं का दम निकलता जा रहा है

हुसैन आबिद

कोई भी शख़्स जो वहम-ओ-गुमाँ की ज़द में रहा

हीरानंद सोज़

हम जौर-परस्तों पे गुमाँ तर्क-ए-वफ़ा का

हसरत मोहानी

मकीं यहीं का है लेकिन मकाँ से बाहर है

हसन अब्बास रज़ा

किस वहम में असीर तिरे मुब्तला हुए

हमीद जालंधरी

सफ़र ही कोई रहेगा न फ़ासला कोई

हकीम मंज़ूर

कौन से दिल में मोहब्बत नहीं जानी तेरी

हैदर अली आतिश

बला-ए-जाँ मुझे हर एक ख़ुश-जमाल हुआ

हैदर अली आतिश

मोहब्बत क्या बढ़ी है वहम बाहम बढ़ते जाते हैं

हफ़ीज़ जौनपुरी

हुए इश्क़ में इम्तिहाँ कैसे कैसे

हफ़ीज़ जौनपुरी

मुलाक़ात

हबीब जालिब

गर मैं नहीं तो दर्द का पैकर कोई तो है

हबीब कैफ़ी

कुछ भी दुश्वार नहीं अज़्म-ए-जवाँ के आगे

हबीब अहमद सिद्दीक़ी

वहम नहीं है

गुलनाज़ कौसर

एक नज़्म

गोपाल मित्तल

रुका हूँ किस के वहम में मिरे गुमान में नहीं

ग़ुलाम हुसैन साजिद

रुका हूँ किस के वहम में मिरे गुमान में नहीं

ग़ुलाम हुसैन साजिद

हुदूद-ए-क़र्या-ए-वहम-ओ-गुमाँ में कोई नहीं

ग़ुलाम हुसैन साजिद

जो न वहम-ओ-गुमान में आवे

ग़मगीन देहलवी

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