ज़ीस्त Poetry (page 11)

साइल के लबों पर है दुआ और तरह की

इक़बाल कैफ़ी

ज़ब्त भी चाहिए ज़र्फ़ भी चाहिए और मोहतात पास-ए-वफ़ा चाहिए

इक़बाल अज़ीम

हम बहुत दूर निकल आए हैं चलते चलते

इक़बाल अज़ीम

टुक इक ऐ नसीम सँभाल ले कि बहार मस्त-ए-शराब है

इंशा अल्लाह ख़ान

किताब-ए-ज़ीस्त का उनवान बन गए हो तुम

इन्दिरा वर्मा

मुझे रंग दे न सुरूर दे मिरे दिल में ख़ुद को उतार दे

इन्दिरा वर्मा

अभी से कैसे कहूँ तुम को बेवफ़ा साहब

इन्दिरा वर्मा

आसूदा-ए-मता-ए-करम बोलते नहीं

इनाम हनफ़ी

उस का बदन भी चाहिए और दिल भी चाहिए

इमरान-उल-हक़ चौहान

दीवानगी में अपना पता पूछता हूँ मैं

इमरान हुसैन आज़ाद

साक़ी तिरे बग़ैर है महफ़िल से दिल उचाट

इमदाद अली बहर

इस तरह ज़ीस्त बसर की कोई पुरसाँ न हुआ

इमदाद अली बहर

बद-तालई का इलाज क्या हो

इमदाद अली बहर

ज़ीस्त-मिज़ाजों का नौहा

इलियास बाबर आवान

जी चाहता है जीना जज़्बात के मुताबिक़

इफ़्तिख़ार राग़िब

रुख़्सत-ए-यार का मज़मून ब-मुश्किल बाँधा

इफ़्तिख़ार मुग़ल

नज़र जो आया उस पे ए'तिबार कर लिया गया

इफ़्फ़त अब्बास

कोई भी शख़्स जो वहम-ओ-गुमाँ की ज़द में रहा

हीरानंद सोज़

रास आई न मुझे अंजुमन-आराई भी

हिदायतुल्लाह ख़ान शम्सी

मेरी हस्ती में मिरी ज़ीस्त में शामिल होना

हीरा लाल फ़लक देहलवी

क्या गुल खिलाए देखिए तपती हुई हवा

हज़ीं लुधियानवी

महदूद-निगाही के सनम टूट रहे हैं

हयात वारसी

हमारे शे'र का हासिल तअस्सुरात से है

हयात मदरासी

उस ज़ुल्फ़ के सौदे का ख़लल जाए तो अच्छा

हातिम अली मेहर

दोपहर रात आ चुकी हीला-बहाना हो चुका

हातिम अली मेहर

वक़्त का सूरज जलन के रूप में जब आ गया

हसीर नूरी

जीना मुझे कठिन हो कि मरना मुहाल हो

हसन सोज़

पहले नज़्र लब-ओ-रुख़्सार करेगी दुनिया

हसन निज़ामी

रात गुज़री कि शब-ए-वस्ल का पैग़ाम मिला

हसन नईम

न मेरे ख़्वाब को पैकर न ख़द्द-ओ-ख़ाल दिया

हसन नईम

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