आवाज Poetry (page 4)

हर सम्त शोर-ए-बंदा ओ साहिब है शहर में

ज़फ़र अज्मी

खाँसती मद्धम सी इक आवाज़ जब से खो गई

यूसुफ़ तक़ी

बे-सदा क्यूँ गुज़रते हो आवाज़ दो

यूसुफ़ तक़ी

नौहा

यूसुफ़ राहत

पलकें हैं कि सरगोशी में ख़ुश्बू का सफ़र है

यूसुफ़ आज़मी

मैं वक़्त के कोहराम में खो जाऊँ तो क्या ग़म

यूसुफ़ आज़मी

होंटों के सहीफ़ों पे है आवाज़ का चेहरा

यूसुफ़ आज़मी

मिरी हर बात पस-मंज़र से क्यूँ मंसूब होती है

यासमीन हमीद

किसी के नर्म लहजे का क़रीना

यासमीन हमीद

उफ़ुक़ तक मेरा सहरा खिल रहा है

यासमीन हमीद

कोई पूछे मिरे महताब से मेरे सितारों से

यासमीन हमीद

ख़ुदा-रा आ के मिरी लो ख़बर कहाँ हो तुम

यासीन ज़मीर

तज़ाद अच्छा नहीं तर्ज़-ए-बयाँ का हम ज़बानों में

याक़ूब उस्मानी

चाहती है आख़िर क्या आगही ख़ुदा-मालूम

याक़ूब उस्मानी

नज़रों में कहाँ उस की वो पहला सा रहा मैं

याक़ूब आमिर

चंद घंटे शोर ओ ग़ुल की ज़िंदगी चारों तरफ़

याक़ूब आमिर

काम दीवानों को शहरों से न बाज़ारों से

यगाना चंगेज़ी

आँख दिखलाने लगा है वो फ़ुसूँ-साज़ मुझे

यगाना चंगेज़ी

उस की आवाज़ में थे सारे ख़द-ओ-ख़ाल उस के

वज़ीर आग़ा

तुम जो आते हो

वज़ीर आग़ा

थकन

वज़ीर आग़ा

कोह-ए-निदा

वज़ीर आग़ा

कराँ-ता-कराँ

वज़ीर आग़ा

अंकबूत

वज़ीर आग़ा

आवेज़िश

वज़ीर आग़ा

वो परिंदा है कहाँ शब को चहकने वाला

वज़ीर आग़ा

उस की आवाज़ में थे सारे ख़द-ओ-ख़ाल उस के

वज़ीर आग़ा

सुनो उजड़ा मकाँ इक बद-दुआ है

वज़ीर आग़ा

इस गिर्या-ए-पैहम की अज़िय्यत से बचा दे

वज़ीर आग़ा

आसमाँ पर अब्र-पारे का सफ़र मेरे लिए

वज़ीर आग़ा

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