पीड़ा Poetry (page 9)

ख़ाली नहीं है कोई यहाँ पर अज़ाब से

फ़ारूक़ अंजुम

अपने दरिया की प्यास

फ़ारिग़ बुख़ारी

तुम्हारे ख़्वाब मिरे साथ साथ चलते हैं

फ़रहत अब्बास शाह

हर घड़ी इंक़लाब में गुज़री

फ़ानी बदायुनी

आए कुछ अब्र कुछ शराब आए

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

तीन आवाज़ें

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

सुब्ह-ए-आज़ादी (अगस्त-47)

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

नज़्म

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

बहार आई

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

हसरत-ए-दीद में गुज़राँ हैं ज़माने कब से

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

आए कुछ अब्र कुछ शराब आए

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

बदन को ख़ाक किया और लहू को आब किया

फ़हीम शनास काज़मी

दरख़्त-ए-जाँ पर अज़ाब-रुत थी न बर्ग जागे न फूल आए

एज़ाज़ अहमद आज़र

मैं ने क्या काम ला-जवाब किया

एजाज़ उबैद

अभी तमाम आइनों में ज़र्रा ज़र्रा आब है

एजाज़ उबैद

मिरी हयात को बे-रब्त बाब रहने दे

एहतिशाम अख्तर

जो ले के उन की तमन्ना के ख़्वाब निकलेगा

एहसान दानिश

मर्दुम-गज़ीदा इंसान का इलाज

दिलावर फ़िगार

ज़िंदगी ख़राब हो गई

दीपक शर्मा दीप

इश्क़ में आबरू ख़राब हुई

द्वारका दास शोला

किस क़दर इज़्तिराब है यारो

दानिश फ़राही

वाइज़ बड़ा मज़ा हो अगर यूँ अज़ाब हो

दाग़ देहलवी

मुमकिन नहीं कि तेरी मोहब्बत की बू न हो

दाग़ देहलवी

कुछ लाग कुछ लगाव मोहब्बत में चाहिए

दाग़ देहलवी

बी.टी-नामा

कर्नल मोहम्मद ख़ान

सर-ए-दश्त दिल जो सराब था कोई ख़्वाब था

बुशरा हाश्मी

मिरी रात मेरा चराग़ मेरी किताब दे

बुशरा एजाज़

सब्र आता है जुदाई में न ख़्वाब आता है

बेख़ुद देहलवी

बनी थी दिल पे कुछ ऐसी की इज़्तिराब न था

बेख़ुद देहलवी

न तो अपने घर में क़रार है न तिरी गली में क़याम है

बेदम शाह वारसी

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