बज़्म Poetry (page 25)

ज़बाँ मुद्दआ-आश्ना चाहता हूँ

फ़ानी बदायुनी

याँ होश से बे-ज़ार हुआ भी नहीं जाता

फ़ानी बदायुनी

वो कहते हैं कि है टूटे हुए दिल पर करम मेरा

फ़ानी बदायुनी

ताकीद है कि दीदा-ए-दिल वा करे कोई

फ़ानी बदायुनी

किसी के एक इशारे में किस को क्या न मिला

फ़ानी बदायुनी

जब पुर्सिश-ए-हाल वो फ़रमाते हैं जानिए क्या हो जाता है

फ़ानी बदायुनी

बे-ज़ौक़-ए-नज़र बज़्म-ए-तमाशा न रहेगी

फ़ानी बदायुनी

इक तुझ को देखने के लिए बज़्म में मुझे

फ़ना निज़ामी कानपुरी

यूँ तिरी तलाश में तेरे ख़स्ता-जाँ चले

फ़ना निज़ामी कानपुरी

वो जाने कितना सर-ए-बज़्म शर्मसार हुआ

फ़ना निज़ामी कानपुरी

मेरे रश्क-ए-क़मर तू ने पहली नज़र जब नज़र से मिलाई मज़ा आ गया

फ़ना बुलंदशहरी

मक़ाम-ए-होश से गुज़रा मकाँ से ला-मकाँ पहुँचा

फ़ना बुलंदशहरी

कहीं सुकूँ न मिला दिल को बज़्म-ए-यार के बा'द

फ़ना बुलंदशहरी

ऐ हम-सफ़रो क्यूँ न यहीं शहर बसा लें

फख्र ज़मान

कुछ बात नहीं जिस्म अगर मेरा जला है

फख्र ज़मान

रात गहरी है मगर एक सहारा है मुझे

फ़ैज़ी

सुब्ह-ए-नौ लाती है हर शाम तुम्हें क्या मा'लूम

फ़ैज़ुल हसन

दिल जिस का दर्द-ए-इश्क़ का हामिल नहीं रहा

फ़ैज़ुल हसन

उठ कर तो आ गए हैं तिरी बज़्म से मगर

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

सजाओ बज़्म ग़ज़ल गाओ जाम ताज़ा करो

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

फिर नज़र में फूल महके दिल में फिर शमएँ जलीं

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

जल उठे बज़्म-ए-ग़ैर के दर-ओ-बाम

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

ये किस दयार-ए-अदम में...

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

यहाँ से शहर को देखो

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

शोर-ए-बरबत-ओ-नय

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

'सज्जाद-ज़हीर' के नाम

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

मिरी जाँ अब भी अपना हुस्न वापस फेर दे मुझ को

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

जश्न का दिन

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

इक़बाल

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

एक शहर-आशोब का आग़ाज़

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

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