जल उठे बज़्म-ए-ग़ैर के दर-ओ-बाम
जब भी हम ख़ानुमाँ-ख़राब आए
Javed Akhtar
Mohsin Naqvi
Habib Jalib
Gulzar
Jaun Eliya
Rahat Indori
Wasi Shah
Allama Iqbal
Faiz Ahmad Faiz
Anwar Masood
Ahmad Faraz
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हज़र करो मिरे तन से
जरस-ए-गुल की सदा
इधर न देखो
शाम-ए-फ़िराक़ अब न पूछ आई और आ के टल गई
आज बाज़ार में पा-ब-जौलाँ चलो
क्या करें
न गँवाओ नावक-ए-नीम-कश दिल-ए-रेज़ा-रेज़ा गँवा दिया
ये ख़ूँ की महक है कि लब-ए-यार की ख़ुशबू
वो आ रहे हैं वो आते हैं आ रहे होंगे
आज की रात
अब वही हर्फ़-ए-जुनूँ सब की ज़बाँ ठहरी है
हम सहल-तलब कौन से फ़रहाद थे लेकिन