मूर्ति Poetry (page 22)

ये हम पर लुत्फ़ कैसा ये करम क्या

अज़ीज़ वारसी

तिरी तलाश में निकले हैं तेरे दीवाने

अज़ीज़ वारसी

ख़ुशी महसूस करता हूँ न ग़म महसूस करता हूँ

अज़ीज़ वारसी

कावाक

अज़ीज़ क़ैसी

कंफ़ेशन

अज़ीज़ क़ैसी

तमीज़ अपने में ग़ैर में क्या तुम्हें जो अपना न कर सके हम

अज़ीज़ क़ैसी

मुझ को का'बा में भी हमेशा शैख़

अज़ीज़ लखनवी

सामने आइना था मस्ती थी

अज़ीज़ लखनवी

ज़ालिम तिरे वादों ने दीवाना बना रक्खा

अज़ीज़ हैदराबादी

नक़्शे उसी के दिल में हैं अब तक खिंचे हुए

अज़ीज़ हामिद मदनी

फ़िराक़ से भी गए हम विसाल से भी गए

अज़ीज़ हामिद मदनी

न याद आया न भूला न सानेहा मुझ को

अज़ीज़ बानो दाराब वफ़ा

फूलों से बहारों में जुदा थे तो हमीं थे

अतहर राज़

किसे दिमाग़ कि उलझे तिलिस्म-ए-ज़ात के साथ

अताउर्रहमान क़ाज़ी

वतन-आशोब

असरार-उल-हक़ मजाज़

शरारे

असरार-उल-हक़ मजाज़

नज़्र-ए-अलीगढ़

असरार-उल-हक़ मजाज़

इशरत-ए-तन्हाई

असरार-उल-हक़ मजाज़

दिल्ली से वापसी

असरार-उल-हक़ मजाज़

खोखले बर्तन के होंट

असलम इमादी

हम इश्क़ के बंदे हैं मज़हब से नहीं वाक़िफ़

आसिफ़ुद्दौला

वहशत में सू-ए-दश्त जो ये आह ले गई

आसिफ़ुद्दौला

जब से मेरे दिल में आ कर इश्क़ का थाना हुआ

आसिफ़ुद्दौला

आँखों की नदी सूख गई फिर भी हरा है

असग़र गोरखपुरी

ख़ुदा जाने कहाँ है 'असग़र'-ए-दीवाना बरसों से

असग़र गोंडवी

हुस्न को वुसअतें जो दीं इश्क़ को हौसला दिया

असग़र गोंडवी

गुम कर दिया है दीद ने यूँ सर-ब-सर मुझे

असग़र गोंडवी

एक ऐसी भी तजल्ली आज मय-ख़ाने में है

असग़र गोंडवी

देखें महशर में उन से क्या ठहरे

आरज़ू लखनवी

किसी गुमान-ओ-यक़ीं की हद में वो शोख़-ए-पर्दा-नशीं नहीं है

आरज़ू लखनवी

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