छोड़ दो Poetry (page 25)

उजाले तेल छिड़कने लगे उजालों पर

एज़ाज़ अफ़ज़ल

बदलते पहलू

एलिज़ाबेथ कुरियन मोना

ऐ ग़म-ए-दिल ये माजरा क्या है

एलिज़ाबेथ कुरियन मोना

हवा के वास्ते इक काम छोड़ आया हूँ

एजाज़ रहमानी

मुक़य्यद हो न जाना ज़ात के गुम्बद में यारो

एजाज़ उबैद

नए सफ़र में जो पिछले सफ़र के साथी थे

एजाज़ उबैद

निशान-ए-ज़िंदगी

एजाज़ गुल

मुद्दतों के बा'द जब पहुँचा वो अपने गाँव में

एजाज़ तालिब

चराग़ दिल का था रौशन बुझा गया पानी

एहतिशाम अख्तर

अब तो उतनी भी मयस्सर नहीं मय-ख़ाने में

दिवाकर राही

मुशाइरा में सुनूँ कैसे सुब्ह तक ग़ज़लें

दिलावर फ़िगार

कराची का क़ब्रिस्तान

दिलावर फ़िगार

बदन को छोड़ ही जाना है रूह ने 'आज़र'

दिलावर अली आज़र

दरून-ए-ख़्वाब नया इक जहाँ निकलता है

दिलावर अली आज़र

अजीब रंग अजब हाल में पड़े हुए हैं

दिलावर अली आज़र

किसी क़लम से किसी की ज़बाँ से चलता हूँ

धीरेंद्र सिंह फ़य्याज़

जग है मुश्ताक़ पिव के दर्शन का

दाऊद औरंगाबादी

बहुत मुश्किल है तर्क-ए-आरज़ू रब्त-आश्ना हो कर

दर्शन सिंह

रौंदे है नक़्श-ए-पा की तरह ख़ल्क़ याँ मुझे

ख़्वाजा मीर 'दर्द'

तोहमत-ए-चंद अपने ज़िम्मे धर चले

ख़्वाजा मीर 'दर्द'

हो के मजबूर ये बच्चों को सबक़ देना है

दानिश अलीगढ़ी

ज़र्रे ज़र्रे में महक प्यार की डाली जाए

दानिश अलीगढ़ी

फिर गया जब से कोई आ के हमारे दर तक

दाग़ देहलवी

उज़्र आने में भी है और बुलाते भी नहीं

दाग़ देहलवी

पुकारती है ख़मोशी मिरी फ़ुग़ाँ की तरह

दाग़ देहलवी

मुझ सा न दे ज़माने को परवरदिगार दिल

दाग़ देहलवी

मोहब्बत का असर जाता कहाँ है

दाग़ देहलवी

इन आँखों ने क्या क्या तमाशा न देखा

दाग़ देहलवी

ग़म से कहीं नजात मिले चैन पाएँ हम

दाग़ देहलवी

दिल मुब्तला-ए-लज़्ज़त-ए-आज़ार ही रहा

दाग़ देहलवी

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