नदी Poetry (page 6)

बेबसी

वसीम बरेलवी

अदना सा बासी

वसीम बरेलवी

ज़िंदगी तुझ पे अब इल्ज़ाम कोई क्या रक्खे

वसीम बरेलवी

उदासियों में भी रस्ते निकाल लेता है

वसीम बरेलवी

तुझ को सोचा तो पता हो गया रुस्वाई को

वसीम बरेलवी

मैं आसमाँ पे बहुत देर रह नहीं सकता

वसीम बरेलवी

कुछ इतना ख़ौफ़ का मारा हुआ भी प्यार न हो

वसीम बरेलवी

कितना दुश्वार था दुनिया ये हुनर आना भी

वसीम बरेलवी

जहाँ दरिया कहीं अपने किनारे छोड़ देता है

वसीम बरेलवी

दूर से ही बस दरिया दरिया लगता है

वसीम बरेलवी

खेल मौजों का ख़तरनाक सही क्या मैं इस खेल से डर जाऊँगा

वाक़िफ़ राय बरेलवी

अगर रोना ही अब मेरा मुक़द्दर है मोहब्बत में

वक़ार मानवी

कुएँ जो पानी की बिन प्यास चाह रखते हैं

वक़ार हिल्म सय्यद नगलवी

एक इशारे में बदल जाता है मयख़ाने का नाम

वक़ार बिजनोरी

क़िर्तास पे नक़्शे हमें क्या क्या नज़र आए

वामिक़ जौनपुरी

बे-नियाज़ नग़्मा-ए-दुनिया हूँ मैं

वलीउल्लाह वली

आप की नज़रों में शायद इस लिए अच्छा हूँ मैं

वलीउल्लाह वली

उधर वो बे-मुरव्वत बेवफ़ा बे-रहम क़ातिल है

वलीउल्लाह मुहिब

पहले सफ़-ए-उश्शाक़ में मेरा ही लहू चाट

वलीउल्लाह मुहिब

मिल उस परी से क्या क्या हुआ दिल

वलीउल्लाह मुहिब

मय-ए-गुल-गूँ के जो शीशे में परी रहती है

वलीउल्लाह मुहिब

किया बाग़-ए-जहाँ में नाम उन का सर्व कह कह कर

वलीउल्लाह मुहिब

है मिरे पहलू में और मुझ को नज़र आता नहीं

वलीउल्लाह मुहिब

दिला ये मय-कदा-ए-इश्क़ है शराब तू पी

वलीउल्लाह मुहिब

जुनूँ-आवर शब-ए-महताब थी पी की तमन्ना में

वली उज़लत

इश्क़ की राह में यूँ हद से गुज़र मत जाना

वाली आसी

इश्क़ की राह में यूँ हद से गुज़र मत जाना

वाली आसी

सहराओं में भी कोई हमराज़ गुलों का है

वाजिद सहरी

कमर धोका दहन उक़्दा ग़ज़ाल आँखें परी चेहरा

वाजिद अली शाह अख़्तर

बराए-सैर मुझ सा रिंद मय-ख़ाने में गर आए

वाजिद अली शाह अख़्तर

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