दीवार Poetry (page 31)

या इलाही मिरा दिलदार सलामत बाशद

हसरत अज़ीमाबादी

रखा पा जहाँ में नगारा ज़मीं पर

हसरत अज़ीमाबादी

दर-ओ-दीवार भी घर के बहुत मायूस थे हम से

हसीब सोज़

ख़ुद को इतना जो हवा-दार समझ रक्खा है

हसीब सोज़

हमारे ख़्वाब सब ताबीर से बाहर निकल आए

हसीब सोज़

न वो इक़रार करता है न वो इंकार करता है

हसन रिज़वी

मोहब्बत का अजब ज़ाविया है

हसन रिज़वी

तल्ख़ियाँ रह जाएँगी लफ़्ज-ए-वफ़ा रह जाएगा

हसन निज़ामी

पहले नज़्र लब-ओ-रुख़्सार करेगी दुनिया

हसन निज़ामी

मिला न काम कोई उम्र-भर जुनूँ के सिवा

हसन नईम

सर उठा कर न कभी देखा कहाँ बैठे थे

हसन कमाल

ज़िंदगी भर दर-ओ-दीवार सजाए जाएँ

हसन जमील

जल्वे तिरे जो रौनक़-ए-बाज़ार हो गए

हसन बरेलवी

जल्वे तिरे जो रौनक़-ए-बाज़ार हो गए

हसन बरेलवी

हो तेरी याद का दिल में गुज़र आहिस्ता आहिस्ता

हसन अकबर कमाल

किस को थी ख़बर इस में तड़ख़ जाएगा दिल भी

हसन अब्बास रज़ा

सफ़र दीवार-ए-गिर्या का

हसन अब्बास रज़ा

घर लौटते हैं जब भी कोई यार गँवा कर

हसन अब्बास रज़ा

गुल हुए चाक-गरेबाँ सर-ए-गुलज़ार ऐ दिल

हसन आबिद

कलियों का तबस्सुम हो, कि तुम हो कि सबा हो

हरी चंद अख़्तर

अना अना के मुक़ाबिल है राह कैसे खुले

हनीफ़ कैफ़ी

है राह-रौ के हुए हादसात की दीवार

हनीफ़ कैफ़ी

ख़ल्वत-ए-जाँ में तिरा दर्द बसाना चाहे

हनीफ़ अख़गर

जो मुसाफ़िर भी तिरे कूचे से गुज़रा होगा

हनीफ़ अख़गर

ख़ल्वत-ए-जाँ में तिरा दर्द बसाना चाहे

हनीफ़ अख़गर

जल्वों का जो तेरे कोई प्यासा नज़र आया

हनीफ़ अख़गर

इतना सुकून तो ग़म-ए-पिन्हाँ में आ गया

हनीफ़ अख़गर

इश्क़ में दिल का ये मंज़र देखा

हनीफ़ अख़गर

देखना ये इश्क़ में हुस्न-ए-पज़ीराई के रंग

हनीफ़ अख़गर

अपनी नज़रों को भी दीवार समझता होगा

हनीफ़ अख़गर

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