गुलशन Poetry (page 7)

कभी तो इश्क़ में उन के सदाक़त आ ही जाएगी

सय्यद एजाज़ अहमद रिज़वी

दिल तिरी याद में हर लम्हा तड़पता भी नहीं

सय्यद एहतिशाम हुसैन

क़तरे को तुम दरिया कर दो

सय्यद ज़िया अल्वी

दिल का दिलबर जब से दिल की धड़कन होने वाला है

सय्यद ज़िया अल्वी

सरों पे धूप तो आँखों में ख़्वाब पत्थर के

सय्यद सफ़ी हसन

मक़्दूर नहीं उस की तजल्ली के बयाँ का

मोहम्मद रफ़ी सौदा

कहते हैं लोग यार का अबरू फड़क गया

मोहम्मद रफ़ी सौदा

कब दिल शिकस्त-गाँ से कर अर्ज़-ए-हाल आया

मोहम्मद रफ़ी सौदा

धूम से सुनते हैं अब की साल आती है बहार

मोहम्मद रफ़ी सौदा

यार की महफ़िल सजी मय की महक छाने लगी

सरवर नेपाली

पत्थरों में आइना मौजूद है

सरवत हुसैन

उन को देखा तो तबीअ'त में रवानी आई

सरदार सोज़

कुछ बद-गुमानियाँ हैं कुछ बद-ज़बानियाँ हैं

सरदार गेंडा सिंह मशरिक़ी

कोई उस से नहीं कहता कि ये क्या बेवफ़ाई है

सरदार गेंडा सिंह मशरिक़ी

है तिरा इंतिज़ार गुलशन में

सरदार अंजुम

कहीं ये तस्कीन-ए-दिल न देखी कहीं ये आराम-ए-जाँ न देखा

सरस्वती सरन कैफ़

हज़ार फूल लिए मौसम-ए-बहार आए

साक़िब लखनवी

हर नफ़स इक मुस्तक़िल फ़रियाद है

साक़िब कानपुरी

कब इस से क़ब्ल नज़र में गुल-ए-मलाल खिला

समीना राजा

हँस दे तो खिले कलियाँ गुलशन में बहार आए

सलीम रज़ा रीवा

तर्ज़-ए-इज़हार में कोई तो नया-पन होता

सलीम शाहिद

हर्फ़-ए-बे-मतलब की मैं ने किस क़दर तफ़्सीर की

सलीम शाहिद

सफ़र से आए तो फिर इक सफ़र नसीब हुआ

सलीम सरफ़राज़

अच्छा था कोई ख़्वाब नज़र में न पालते

सलीम सरफ़राज़

अच्छा था कोई ख़्वाब नज़र में न पालते

सलीम फ़राज़

ताबानी-ए-रुख़ ले कर तुम सामने जब आए

सलाम संदेलवी

बू-ए-गुल बाद-ए-सबा लाई बहुत देर के बा'द

सलाम संदेलवी

मता-ए-होश यहाँ सब ने बेच डाली है

सलाहुद्दीन नय्यर

जाएगी गुलशन तलक उस गुल की आमद की ख़बर

सख़ी लख़नवी

यूँ परेशाँ कभी हम भी तो न थे

सख़ी लख़नवी

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