होंठ Poetry (page 22)

आँख से क़त्ल करे लब से जलाए मुर्दे

रिन्द लखनवी

ज़माने में वो मह-लक़ा एक है

रिन्द लखनवी

तोहमत-ए-हसरत-ए-पर्वाज़ न मुझ पर बाँधे

रिन्द लखनवी

तौबा का पास रिंद-ए-मय-आशाम हो चुका

रिन्द लखनवी

इक परी का फिर मुझे शैदा किया

रिन्द लखनवी

अदू ग़ैर ने तुझ को दिलबर बनाया

रिन्द लखनवी

क्यूँ अंधेरों का मुसाफ़िर है मुक़द्दर अपना

रिफ़अतुल क़ासमी

हुए जब से मोहब्बत-आश्ना हम

रिफ़अत सुलतान

दीबाचा-ए-किताब-ए-वफ़ा है तमाम उम्र

रिफ़अत सरोश

वक़्त ख़ुश-ख़ुश काटने का मशवरा देते हुए

रियाज़ मजीद

सत्‌ह-बीं थे सब, रहे बाहर की काई देखते

रियाज़ मजीद

आँच आएगी न अंदर की ज़बाँ तक ऐ दिल

रियाज़ मजीद

सेल्फ़ी

रहमान फ़ारिस

कुंज-ए-इज़्ज़त से उठो सुब्ह-ए-बहाराँ देखो

रज़ी तिर्मिज़ी

ख़्वाब-फ़रोश

रज़ी रज़ीउद्दीन

वो शाख़-ए-गुल की तरह मौसम-ए-तरब की तरह

राज़ी अख्तर शौक़

रोज़ इक शख़्स चला जाता है ख़्वाहिश करता

राज़ी अख्तर शौक़

छेड़ के साज़-ए-ज़रगरी ख़ल्क़-ए-ख़ुदा है रक़्स में

राज़ी अख्तर शौक़

वो आँसू जो हँस हँस के हम ने पिए हैं

रज़ा लखनवी

तुझे ऐ ज़ाहिद-बदनाम समझाना भी आता है

रज़ा जौनपुरी

ये किस मक़ाम पे ठहरा है कारवान-ए-वफ़ा

रज़ा हमदानी

उस घड़ी कुछ थे और अब कुछ हो

रज़ा अज़ीमाबादी

शर्मिंदा नहीं कौन तिरी इश्वा-गरी का

रज़ा अज़ीमाबादी

मौत भी आती नहीं हिज्र के बीमारों को

रज़ा अज़ीमाबादी

किस लिए सहरा के मुहताज-ए-तमाशा होजिए

रज़ा अज़ीमाबादी

शिकस्त-ए-रंग-ए-तमन्ना को अर्ज़-ए-हाल कहूँ

रविश सिद्दीक़ी

कहने को सब फ़साना-ए-ग़ैब-ओ-शुहूद था

रविश सिद्दीक़ी

ज़िंदगी की शराब पानी है

रौशन लाल रौशन

हम हैं हुशियार क्या इरादा है

रौनक़ टोंकवी

आलम में न कुछ कसरत-ए-अनवार को देखें

रौनक़ टोंकवी

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