उम्र Poetry (page 31)

या वस्ल में रखिए मुझे या अपनी हवस में

इंशा अल्लाह ख़ान

अश्क मिज़्गान-ए-तर की पूँजी है

इंशा अल्लाह ख़ान

मुझे रंग दे न सुरूर दे मिरे दिल में ख़ुद को उतार दे

इन्दिरा वर्मा

काश वो पहली मोहब्बत के ज़माने आते

इन्दिरा वर्मा

कभी मुड़ के फिर इसी राह पर न तो आए तुम न तो आए हम

इन्दिरा वर्मा

दिन में जो साथ सब के हँसता था

इंद्र सराज़ी

तमाम उम्र गँवा दी जिसे भुलाने में

इनाम-उल-हक़ जावेद

वो एक शख़्स कि बाइस मिरे ज़वाल का था

इनाम-उल-हक़ जावेद

दिल पर किसी पत्थर का निशाँ यूँ ही रहेगा

इनाम नदीम

वो आते-जाते इधर देखता ज़रा सा है

इनाम कबीर

गुज़री सवाल-ए-वस्ल के चक्कर में सारी उम्र

इनाम दुर्रानी

उखड़ी न एक शाख़ भी नख़्ल-ए-जदीद की

इनाम दुर्रानी

दर-ए-उमीद मुक़फ़्फ़ल नहीं हुआ अब तक

इनआम आज़मी

ताराज ख़्वाहिशों का मुदावा न हो सका

इम्तियाज़ अहमद

हम न दुनिया के हैं न दीं के हैं

इमरान-उल-हक़ चौहान

यूँ भटकने में की है बसर ज़िंदगी

इमरान शमशाद

मैं सारी उम्र अहद-ए-वफ़ा में लगा रहा

इमरान हुसैन आज़ाद

ख़िज़ाँ के होश किसी रोज़ मैं उड़ाता हुआ

इमरान हुसैन आज़ाद

आसमाँ मिल न सका धरती पे आया न गया

इमरान हुसैन आज़ाद

काँटों में ही कुछ ज़र्फ़-ए-समाअत नज़र आए

इमदाद निज़ामी

क़ैद-ए-तन से रूह है नाशाद क्या

इम्दाद इमाम असर

अफ़्सोस उम्र कट गई रंज-ओ-मलाल में

इमदाद अली बहर

मैं सियह-रू अपने ख़ालिक़ से जो ने'मत माँगता

इमदाद अली बहर

किया सलाम जो साक़ी से हम ने जाम लिया

इमदाद अली बहर

तमाम उम्र यूँ ही हो गई बसर अपनी

इमाम बख़्श नासिख़

वही आग अपना नसीब थी कि तमाम उम्र जला किए

इलियास इश्क़ी

ये बहार वो है जहाँ रही असर-ए-ख़िज़ाँ से बरी रही

इलियास इश्क़ी

कम ज़रा न होने दी एक लफ़्ज़ की हुरमत

इकराम मुजीब

मौत सी ख़मोशी जब उन लबों पे तारी की

इकराम मुजीब

ले चले हो तो कहीं दूर ही ले जाना मुझे

इकराम आज़म

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