पेड़ Poetry (page 6)

तुम भी इस सूखते तालाब का चेहरा देखो

रउफ़ रज़ा

मुजरिम है तुम्हारा तो सज़ा क्यूँ नहीं देते

राशिद फ़ज़ली

शहर से कोई मज़ाफ़ात में आया हुआ था

राशिद अमीन

सफ़र

राशिद आज़र

अपने ज़िंदा जिस्म की गुफ़्तार में खोया हुआ

रशीद निसार

उसे पता है कहाँ हाथ थामना है मिरा

राना आमिर लियाक़त

अगरचे रोज़ मिरा सब्र आज़माता है

राना आमिर लियाक़त

जलने का हुनर सिर्फ़ फ़तीले के लिए था

रम्ज़ अज़ीमाबादी

लफ़्ज़ बे-जाँ हैं मिरे रूह-ए-मआनी मुझे दे

राम रियाज़

हम तो दिन-रात इसी सोच में मर जाएँगे

राम नाथ असीर

मैं खो गया था कोई शय तलाश करते हुए

राकिब मुख़्तार

हुक्म-ए-मुर्शिद पे ही जी उठना है मर जाना है

राकिब मुख़्तार

दिए जला के हवाओं के मुँह पे मार आया

रख़शां हाशमी

ज़रा छुआ था कि बस पेड़ आ गिरा मुझ पर

राजेन्द्र मनचंदा बानी

न हरीफ़ाना मिरे सामने आ मैं क्या हूँ

राजेन्द्र मनचंदा बानी

मोड़ था कैसा तुझे था खोने वाला मैं

राजेन्द्र मनचंदा बानी

बजाए हम-सफ़री इतना राब्ता है बहुत

राजेन्द्र मनचंदा बानी

कम-निगही

राज नारायण राज़

जंगल से आगे निकल गया

रईस फ़रोग़

आँखों के कश्कोल शिकस्ता हो जाएँगे शाम को

रईस फ़रोग़

दर्द तन्हाई का

राही मासूम रज़ा

नक़ाब चेहरे से उस के कभी सरकता था

इरफ़ान अहमद

ओस से भरा गिलास

इक़तिदार जावेद

फेंक यूँ पत्थर कि सत्ह-ए-आब भी बोझल न हो

इक़बाल साजिद

हर घड़ी का साथ दुख देता है जान-ए-मन मुझे

इक़बाल साजिद

इक तबीअत थी सो वो भी ला-उबाली हो गई

इक़बाल साजिद

ख़्वाहिशों के पेड़ से गिरते हुए पत्ते न चुन

इक़बाल नवेद

दोस्तों के हू-ब-हू पैकर का अंदाज़ा लगा

इक़बाल नवेद

कोई अच्छा लगे कितना ही भरोसा न करो

इक़बाल अासिफ़

कभी तो चश्म-ए-फ़लक में हया दिखाई दे

इनआम आज़मी

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