पर्दा Poetry (page 8)

वो दिल जो था किसी के ग़म का महरम हो गया रुस्वा

हुरमतुल इकराम

पूछेगा जो वो रश्क-ए-क़मर हाल हमारा

हातिम अली मेहर

कूचा में जो उस शोख़-हसीं के न रहेंगे

हातिम अली मेहर

मुदावा-ए-दिल-ए-दीवाना करते

हसरत मोहानी

दर्द-ए-दिल की उन्हें ख़बर न हुई

हसरत मोहानी

यार इब्तिदा-ए-इश्क़ से बे-ज़ार ही रहा

हसरत अज़ीमाबादी

ज़र्द मौसम में भी इक शाख़ हरी रहती है

हाशिम रज़ा जलालपुरी

मैं अपनी रूह में उस को बसा चुका इतना

हसन नईम

बयान-ए-शौक़ बना हर्फ़-ए-इज़्तिराब बना

हसन नईम

किस के चेहरे से उठ गया पर्दा

हसन बरेलवी

चश्म-ए-ज़ाहिर से रुख़-ए-यार का पर्दा देखा

हसन बरेलवी

ज़िंदगी अब रहे ख़ता कब तक

हरी मेहता

हर ज़र्रा है जमाल की दुनिया लिए हुए

हेंसन रेहानी

आज सौदा-ए-मोहब्बत की ये अर्ज़ानी है

हेंसन रेहानी

जल्वों का जो तेरे कोई प्यासा नज़र आया

हनीफ़ अख़गर

एक इंसान हूँ इंसाँ का परस्तार हूँ मैं

हामिद मुख़्तार हामिद

फ़स्ल-ए-ग़म की जब नौ-ख़ेज़ी हो जाती है

हैदर क़ुरैशी

न सर छुपाने को घर था न आब-ओ-दाना था

हैदर अली जाफ़री

ताज़ा हो दिमाग़ अपना तमन्ना है तो ये है

हैदर अली आतिश

शब-ए-वस्ल थी चाँदनी का समाँ था

हैदर अली आतिश

पयम्बर मैं नहीं आशिक़ हूँ जानी

हैदर अली आतिश

ना-फ़हमी अपनी पर्दा है दीदार के लिए

हैदर अली आतिश

इस शश-जिहत में ख़ूब तिरी जुस्तुजू करें

हैदर अली आतिश

ग़ैरत-ए-महर रश्क-ए-माह हो तुम

हैदर अली आतिश

ये सब कहने की बातें हैं कि ऐसा हो नहीं सकता

हफ़ीज़ जौनपुरी

शब-ए-वस्ल है बहस हुज्जत अबस

हफ़ीज़ जौनपुरी

हसीनों से फ़क़त साहिब-सलामत दूर की अच्छी

हफ़ीज़ जौनपुरी

बताऊँ क्या किसी को मैं कि तुम क्या चीज़ हो क्या हो

हफ़ीज़ जौनपुरी

'इक़बाल' के मज़ार पर

हफ़ीज़ जालंधरी

बसंती तराना

हफ़ीज़ जालंधरी

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