किस के चेहरे से उठ गया पर्दा
झिलमिलाए चराग़ महफ़िल के
Gulzar
Habib Jalib
Mir Taqi Mir
Jaun Eliya
Wasi Shah
Parveen Shakir
Ahmad Faraz
Anwar Masood
Allama Iqbal
Mohsin Naqvi
Faiz Ahmad Faiz
Javed Akhtar
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(745) Peoples Rate This
बोले वो बोसा-हा-ए-पैहम पर
जल्वे तिरे जो रौनक़-ए-बाज़ार हो गए
हुस्न जब मक़्तल की जानिब तेग़-ए-बुर्राँ ले चला
देख आओ मरीज़-ए-फ़ुर्क़त को
राज़-ए-दिल लाते हैं ज़बाँ तक हम
जो ख़ास जल्वे थे उश्शाक़ की नज़र के लिए
छुप गया यार ख़ुद-नुमा हो कर
शीशा उठा कर ताक़ से हम ने
आप की ज़िद ने मुझे और पिलाई हज़रत
मिरे मरने से तुम को फ़िक्र ऐ दिलदार कैसी है
पूछते जाते हैं ये हम सब से