आप की ज़िद ने मुझे और पिलाई हज़रत
शैख़-जी इतनी नसीहत भी बुरी होती है
Gulzar
Anwar Masood
Faiz Ahmad Faiz
Rahat Indori
Allama Iqbal
Mohsin Naqvi
Javed Akhtar
Ahmad Faraz
Habib Jalib
Parveen Shakir
Jaun Eliya
Wasi Shah
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(816) Peoples Rate This
बोले वो बोसा-हा-ए-पैहम पर
देख आओ मरीज़-ए-फ़ुर्क़त को
ओ वस्ल में मुँह छुपाने वाले
जो ख़ास जल्वे थे उश्शाक़ की नज़र के लिए
दिल को जानाँ से 'हसन' समझा-बुझा के लाए थे
क्या कहूँ क्या है मेरे दिल की ख़ुशी
जब मिरा महर जल्वा-गर होगा
आईना तुम्हारे नक़्श-ए-पा का
किस के चेहरे से उठ गया पर्दा
मिरे मरने से तुम को फ़िक्र ऐ दिलदार कैसी है
उन का जल्वा नहीं देखा जाता
हाल-ए-मर्ग-ए-बे-कसी सुन कर असर कोई न हो