पता Poetry (page 7)

नज़्म

सईदुद्दीन

नज़्म

सईदुद्दीन

खुलता है यूँ हवा का दरीचा समझ लिया

सईद अहमद

रक्खे हर इक क़दम पे जो मुश्किल की आगही

सबीला इनाम सिद्दीक़ी

बू-ए-ख़ुश की तरह हर सम्त बिखर जाऊँगा

सबा जायसी

वो तवज्जोह दे न दे लेकिन सदा देते रहो

रूही कंजाही

जब अगले साल यही वक़्त आ रहा होगा

रियाज़ मजीद

इक सहीफ़ा नया उतरा है सुना है लोगो

रज़िया फ़सीह अहमद

मैं मुब्तला-ए-इश्क़ हूँ मुझ को पता न था

रज़िया हलीम जंग

मुहक़क़िक़

रज़ा नक़वी वाही

क्या पूछते हो मुझ को मोहब्बत में क्या मिला

रज़ा जौनपुरी

मुंतज़िर आँखों में जमता ख़ूँ का दरिया देखते

राशिद आज़र

मालूम है वो मुझ से ख़फ़ा है भी नहीं भी

राशिद आज़र

चाहत तुम्हारी सीने पे क्या गुल कतर गई

राशिद आज़र

गर्म रफ़्तार है तेरी ये पता देते हैं

रशीद लखनवी

आशिक़ को तेरे लाख कोई रहनुमा मिले

रसा रामपुरी

उसे पता है कहाँ हाथ थामना है मिरा

राना आमिर लियाक़त

अगरचे रोज़ मिरा सब्र आज़माता है

राना आमिर लियाक़त

मैं कैसे तय करूँ बे-सम्त रास्तों का सफ़र

राम अवतार गुप्ता मुज़्तर

क़ुरआँ किताब है रुख़-ए-जानाँ के सामने

रजब अली बेग सुरूर

चार बजे

राजा मेहदी अली ख़ाँ

मैं संगलाख़ ज़मीनों के राज़ कहता हूँ

राज नारायण राज़

तुम अपने हुस्न पे ग़ज़लें पढ़ा करो बैठे

राहील फ़ारूक़

तबर-ओ-तेशा-ओ-तासीर कहाँ से लाएँ

राहील फ़ारूक़

साक़ी भले फटकने न दे पास जाम के

राहील फ़ारूक़

कभी तो चश्म-ए-फ़लक में हया दिखाई दे

इनआम आज़मी

यूँ भटकने में की है बसर ज़िंदगी

इमरान शमशाद

तुम ने ये माजरा सुना है क्या

इमरान शमशाद

मैं शजर हूँ और इक पत्ता है तू

इमरान हुसैन आज़ाद

सूली चढ़े जो यार के क़द पर फ़िदा न हो

इम्दाद इमाम असर

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