क़ैस Poetry (page 7)

यादों के बाग़ से वो हरा-पन नहीं गया

अनवर शऊर

उन से तन्हाई में बात होती रही

अनवर शऊर

हम से भी गाहे गाहे मुलाक़ात चाहिए

अंजुम रूमानी

नक़ाब उल्टा है शम्ओं' ने सितारो तुम तो सो जाओ

अनीस कैफ़ी

कब इश्क़ में यारों की पज़ीराई हुई है

अनीस अशफ़ाक़

इक आफ़त-ए-जाँ है जो मुदावा मिरे दिल का

अमीरुल्लाह तस्लीम

हम-सर-ए-ज़ुल्फ़ क़द-ए-हूर-ए-शमाइल ठहरा

अमीर मीनाई

नशात-ए-उमीद

अल्ताफ़ हुसैन हाली

पूरी हुई जो हिज्र की मीआद आवेगा

अली यासिर

पैराहन-ए-शरर

अली सरदार जाफ़री

मुसीबत की ख़बरें

अली अकबर नातिक़

गर्द-बाद

अख़्तर उस्मान

वो कहते हैं रंजिश की बातें भुला दें

अख़्तर शीरानी

दिल में ख़याल-ए-नर्गिस-ए-जानाना आ गया

अख़्तर शीरानी

अश्क भेजें मौज उभारें अब्र जारी कीजिए

अहमद शहरयार

शब ढले गुम्बद-ए-असरार में आ जाता है

अहमद रिज़वान

अपने माहौल से थे क़ैस के रिश्ते क्या क्या

अहमद नदीम क़ासमी

ऐ मेरे वतन के ख़ुश-नवाओ

अहमद फ़राज़

ज़िंदगी से यही गिला है मुझे

अहमद फ़राज़

अजब जुनून-ए-मसाफ़त में घर से निकला था

अहमद फ़राज़

क्या ढूँडने निकली है किसी क़ैस को पागल

अहमद अज़ीम

ऐसी भी कहाँ बे-सर-ओ-सामानी हुई है

अहमद अज़ीम

दो वक़्त निकलने लगी लैला की सवारी

आग़ा हज्जू शरफ़

तिरछी नज़र न हो तरफ़-ए-दिल तो क्या करूँ

आग़ा हज्जू शरफ़

तिरे वास्ते जान पे खेलेंगे हम ये समाई है दिल में ख़ुदा की क़सम

आग़ा हज्जू शरफ़

रंग जिन के मिट गए हैं उन में यार आने को है

आग़ा हज्जू शरफ़

पाया तिरे कुश्तों ने जो मैदान-ए-बयाबाँ

आग़ा हज्जू शरफ़

नाहक़ ओ हक़ का उन्हें ख़ौफ़-ओ-ख़तर कुछ भी नहीं

आग़ा हज्जू शरफ़

फ़स्ल-ए-गुल में है इरादा सू-ए-सहरा अपना

आग़ा हज्जू शरफ़

मुझे रोना नहीं आवाज़ भी भारी नहीं करनी

अफ़ज़ल ख़ान

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