रात Poetry (page 4)

सूई

ज़ीशान साहिल

सय्याह

ज़ीशान साहिल

नज़्म

ज़ीशान साहिल

मोहब्बत के रास्ते में

ज़ीशान साहिल

लड़की और बादल

ज़ीशान साहिल

जवाहर-लाल यूनवर्सिटी के तलबा के लिए

ज़ीशान साहिल

जंग के दिनों में

ज़ीशान साहिल

घूमते हुए ग्लोब पर

ज़ीशान साहिल

फ़ुट-पाथ के लोग

ज़ीशान साहिल

दहशत-गर्द शायर

ज़ीशान साहिल

चिड़ियाँ

ज़ीशान साहिल

आप क्या करते हैं

ज़ीशान साहिल

36

ज़ीशान साहिल

16

ज़ीशान साहिल

14

ज़ीशान साहिल

यूँ बोली थी चिड़िया ख़ाली कमरे में

ज़ीशान साहिल

हम बे-घरों के दिल में जगाती है डर गली

ज़िशान इलाही

कुछ दूर तक तो चमकी थी मेरे लहू की धार

ज़ेब ग़ौरी

ताज़ा है उस की महक रात की रानी की तरह

ज़ेब ग़ौरी

रात दमकती है रह रह कर मद्धम सी

ज़ेब ग़ौरी

मैं अक्स-ए-आरज़ू था हवा ले गई मुझे

ज़ेब ग़ौरी

लहर लहर क्या जगमग जगमग होती है

ज़ेब ग़ौरी

ख़ंजर चमका रात का सीना चाक हुआ

ज़ेब ग़ौरी

गहरी रात है और तूफ़ान का शोर बहुत

ज़ेब ग़ौरी

गुल-पोश बाम-ओ-दर हैं मगर घर में कुछ नहीं

ज़ौक़ी मुज़फ्फ़र नगरी

क़ैस कहता था यही फ़िक्र है दिन-रात मुझे

ज़रीफ़ लखनवी

उम्र गुज़री है कामरानी से

ज़ाकिर ख़ान ज़ाकिर

पुर-नूर ख़यालों की बरसात तिरी बातें

ज़ाकिर ख़ान ज़ाकिर

ख़्वाब-नगर के शहज़ादे ने ऐसे भी निरवान लिया

ज़ाकिर ख़ान ज़ाकिर

ख़याल-ओ-ख़्वाब में डूबी दीवार-ओ-दर बनाती हैं

ज़ाकिर ख़ान ज़ाकिर

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