रात Poetry (page 53)

गुज़र जाएगी सारी रात इस में

हुमैरा राहत

वक़्त की आँख से कुछ ख़्वाब नए माँगता है

हुमैरा राहत

किसी भी राएगानी से बड़ा है

हुमैरा राहत

पहले तो ख़्वाब ज़ेहन में तश्कील हो गया

हीरानंद सोज़

उन के सब झूट मो'तबर ठहरे

हिना हैदर

जवाब

हिमायत अली शाएर

साए चमक रहे थे सियासत की बात थी

हिमायत अली शाएर

रात सुनसान दश्त ओ दर ख़ामोश

हिमायत अली शाएर

आज की शब जैसे भी हो मुमकिन जागते रहना

हिमायत अली शाएर

वक़्त ने रंग बहुत बदले क्या कुछ सैलाब नहीं आए

हिलाल फ़रीद

शब-ए-फ़िराक़ कुछ ऐसा ख़याल-ए-यार रहा

हिज्र नाज़िम अली ख़ान

शब-ए-फ़िराक़ कुछ ऐसा ख़याल-ए-यार रहा

हिज्र नाज़िम अली ख़ान

मुझे फ़रेब-ए-वफ़ा दे के दम में लाना था

हिज्र नाज़िम अली ख़ान

मुझे तेरी जुदाई का ये सदमा मार डालेगा

हिदायतुल्लाह ख़ान शम्सी

दिन रात तुम्हारी यादों से हम ज़ख़्म सँवारा करते हैं

हिदायतुल्लाह ख़ान शम्सी

बहुत कठिन है डगर थोड़ी दूर साथ चलो

हिदायतुल्लाह ख़ान शम्सी

अपने कहते हैं कोई बात तो दुख होता है

हिदायतुल्लाह ख़ान शम्सी

तुंदी-ए-सैल-ए-वक़्त में ये भी है कोई ज़िंदगी

हज़ीं लुधियानवी

उतरने वाली दुखों की बरात से पहले

हज़ीं लुधियानवी

सर-ता-ब-क़दम ख़ून का जब ग़ाज़ा लगा है

हज़ीं लुधियानवी

इस का नहीं है ग़म कोई, जाँ से अगर गुज़र गए

हज़ीं लुधियानवी

इस का नहीं है ग़म कोई जाँ से अगर गुज़र गए

हज़ीं लुधियानवी

हमारे शे'र का हासिल तअस्सुरात से है

हयात मदरासी

मैं ख़ाल-ओ-ख़द का सरापा तसव्वुरात में था

हयात लखनवी

मजमा' में रक़ीबों के खुला था तिरा जूड़ा

हातिम अली मेहर

ज़ुल्फ़ अंधेर करने वाली है

हातिम अली मेहर

क़त्अ हो कर काकुल-ए-शब-गीर आधी रह गई

हातिम अली मेहर

पोशाक-ए-सियह में रुख़-ए-जानाँ नज़र आया

हातिम अली मेहर

कोई ले कर ख़बर नहीं आता

हातिम अली मेहर

करते हैं शौक़-ए-दीद में बातें हवा से हम

हातिम अली मेहर

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