कारण Poetry (page 10)

ये ख़ौफ़ कम है मुझे और चमको जब तक हो

इक़बाल अशहर कुरेशी

टुक आँख मिलाते ही किया काम हमारा

इंशा अल्लाह ख़ान

तफ़ज़्जुलात नहीं लुत्फ़ की निगाह नहीं

इंशा अल्लाह ख़ान

बात के साथ ही मौजूद है टाल एक न एक

इंशा अल्लाह ख़ान

दिल की राहों से दबे पाँव गुज़रने वाला

इंद्र मोहन मेहता कैफ़

हज़ार ख़्वाब लिए जी रही हैं सब आँखें

इन्दिरा वर्मा

तेरे दिल से उतर चुका हूँ मैं

इमरान शनावर

ख़ुदा तू इतनी भी महरूमियाँ न तारी रख

इमरान हुसैन आज़ाद

जफ़ाएँ होती हैं घुटता है दम ऐसा भी होता है

इम्दाद इमाम असर

हुस्न की जिंस ख़रीदार लिए फिरती है

इम्दाद इमाम असर

हमीं नाशाद नज़र आते हैं दिल-शाद हैं सब

इमदाद अली बहर

आज़ुर्दा हो गया वो ख़रीदार बे-सबब

इमदाद अली बहर

आ गया जब से नज़र वो शोख़ हरजाई मुझे

इमाम बख़्श नासिख़

'इश्क़ी'-साहिब लिखना है तो कोई नई तहरीर लिखो

इलियास इश्क़ी

बे-सबब 'राग़िब' तड़प उठता है दिल

इफ़्तिख़ार राग़िब

हो चराग़-ए-इल्म रौशन ठीक से

इफ़्तिख़ार राग़िब

किसी सबब से अगर बोलता नहीं हूँ मैं

इफ़्तिख़ार मुग़ल

किसी सबब से अगर बोलता नहीं हूँ मैं

इफ़्तिख़ार मुग़ल

जमाल-गाह-ए-तग़ज़्ज़ुल की ताब-ओ-तब तिरी याद

इफ़्तिख़ार मुग़ल

हमीं में रहते हैं वो लोग भी कि जिन के सबब

इफ़्तिख़ार आरिफ़

ख़्वाब-ए-देरीना से रुख़्सत का सबब पूछते हैं

इफ़्तिख़ार आरिफ़

हम अहल-ए-जब्र के नाम-ओ-नसब से वाक़िफ़ हैं

इफ़्तिख़ार आरिफ़

फ़ज़ा में वहशत-ए-संग-ओ-सिनाँ के होते हुए

इफ़्तिख़ार आरिफ़

एक मुद्दत से सर-ए-दोश-ए-हवा हूँ मैं भी

इफ़्फ़त अब्बास

दिल की इक एक ख़राबी का सबब जानते हैं

इदरीस बाबर

इस से पहले कि ज़मीं-ज़ाद शरारत कर जाएँ

इदरीस बाबर

इस से पहले कि ज़मीं-ज़ाद शरारत कर जाएँ

इदरीस बाबर

दोस्त कुछ और भी हैं तेरे अलावा मिरे दोस्त

इदरीस बाबर

कभी कभी तो जुदा बे-सबब भी होते हैं

हुमैरा राहत

हर एक ख़्वाब की ताबीर थोड़ी होती है

हुमैरा राहत

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