कारण Poetry (page 12)

रात उस के सामने मेरे सिवा भी मैं ही था

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

नक़्श-बर-आब नाम है सैल-ए-फ़ना मक़ाम

ग़ुलाम मौला क़लक़

हम तो याँ मरते हैं वाँ उस को ख़बर कुछ भी नहीं

ग़ुलाम मौला क़लक़

दूरी में क्यूँ कि हो न तमन्ना हुज़ूर की

ग़ुलाम मौला क़लक़

कोई सबब तो था कि 'ग़ौस' फ़हम-ओ-ज़का के बावजूद

गाैस मथरावी

क़ल्ब-ओ-नज़र के सिलसिले मेरी निगाह में रहे

गाैस मथरावी

ज़ेहन के ख़ानों में जाने वक़्त ने क्या भर दिया

ग़ज़नफ़र

तेज़ होती जा रही है किस लिए धड़कन मिरी

ग़ज़नफ़र

उस की सूरत का तसव्वुर दिल में जब लाते हैं हम

ग़मगीन देहलवी

उस के कूचे में गया मैं सो फिर आया न गया

ग़मगीन देहलवी

कभी गुमान कभी ए'तिबार बन के रहा

ग़ालिब अयाज़

हम कहाँ के दाना थे किस हुनर में यकता थे

ग़ालिब

बे-ख़ुदी बे-सबब नहीं 'ग़ालिब'

ग़ालिब

ज़िक्र उस परी-वश का और फिर बयाँ अपना

ग़ालिब

फिर कुछ इक दिल को बे-क़रारी है

ग़ालिब

मिरी हस्ती फ़ज़ा-ए-हैरत आबाद-ए-तमन्ना है

ग़ालिब

क्यूँ जल गया न ताब-ए-रुख़-ए-यार देख कर

ग़ालिब

जुनूँ की दस्त-गीरी किस से हो गर हो न उर्यानी

ग़ालिब

मैं ख़ुद ही ख़ूगर-ए-ख़लिश-ए-जुस्तुजू न था

गौहर होशियारपुरी

मज़हब की ख़राबी है न अख़्लाक़ की पस्ती

फ़िराक़ गोरखपुरी

ज़िंदगी दर्द की कहानी है

फ़िराक़ गोरखपुरी

हर नाला तिरे दर्द से अब और ही कुछ है

फ़िराक़ गोरखपुरी

आँखों का तो काम ही है रोना

फ़ज़्ल अहमद करीम फ़ज़ली

अच्छी-ख़ासी रुस्वाई का सबब होती है

फ़े सीन एजाज़

अच्छी-ख़ासी रुस्वाई का सबब होती है

फ़े सीन एजाज़

तुम्हारे लिए मुस्कुराती सहर है

फ़व्वाद अहमद

हमारे दिल की बजा दी है उस ने ईंट से ईंट

फ़व्वाद अहमद

चश्म-ए-हैरत को तअल्लुक़ की फ़ज़ा तक ले गया

फ़सीह अकमल

मैं जिस में रह न सका जी-हुज़ूरियों के सबब

फ़रियाद आज़र

इस तमाशे का सबब वर्ना कहाँ बाक़ी है

फ़रियाद आज़र

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