शौक Poetry (page 34)

तेरा निगाह-ए-शौक़ कोई राज़-दाँ न था

फ़ानी बदायुनी

सवाल-ए-दीद पे तेवरी चढ़ाई जाती है

फ़ानी बदायुनी

नाम बदनाम है नाहक़ शब-ए-तन्हाई का

फ़ानी बदायुनी

मोहताज-ए-अजल क्यूँ है ख़ुद अपनी क़ज़ा हो जा

फ़ानी बदायुनी

मिज़ाज-ए-दहर में उन का इशारा पाए जा

फ़ानी बदायुनी

मर कर मरीज़-ए-ग़म की वो हालत नहीं रही

फ़ानी बदायुनी

जी ढूँढता है घर कोई दोनों जहाँ से दूर

फ़ानी बदायुनी

दिल की काया ग़म ने वो पल्टी कि तुझ सा बन गया

फ़ानी बदायुनी

दैर में या हरम में गुज़रेगी

फ़ानी बदायुनी

ऐ मौत तुझ पे उम्र-ए-अबद का मदार है

फ़ानी बदायुनी

ऐ अजल ऐ जान-ए-'फ़ानी' तू ने ये क्या कर दिया

फ़ानी बदायुनी

हुस्न का एक आह ने चेहरा निढाल कर दिया

फ़ना निज़ामी कानपुरी

तेरी नज़रों पे तसद्दुक़ आज अहल-ए-होश हैं

फ़ना बुलंदशहरी

तिरा ग़म रहे सलामत यही मेरी ज़िंदगी है

फ़ना बुलंदशहरी

मिरी लौ लगी है तुझ से ग़म-ए-ज़िंदगी मिटा दे

फ़ना बुलंदशहरी

मक़ाम-ए-होश से गुज़रा मकाँ से ला-मकाँ पहुँचा

फ़ना बुलंदशहरी

कहीं सुकूँ न मिला दिल को बज़्म-ए-यार के बा'द

फ़ना बुलंदशहरी

हरम है क्या चीज़ दैर क्या है किसी पे मेरी नज़र नहीं है

फ़ना बुलंदशहरी

है वज्ह कोई ख़ास मिरी आँख जो नम है

फ़ना बुलंदशहरी

बा-होश वही हैं दीवाने उल्फ़त में जो ऐसा करते हैं

फ़ना बुलंदशहरी

ऐ सनम तुझ को हम भुला न सके

फ़ना बुलंदशहरी

फिर ज़बान-ए-इश्क़ चश्म-ए-ख़ूँ-फिशाँ होने लगी

फ़ैज़ी निज़ाम पुरी

कुछ ज़िंदगी में लुत्फ़ का सामाँ नहीं रहा

फ़ैज़ी निज़ाम पुरी

तेरी ही सैर के लिए आता रहूँगा बार बार

फ़ैज़ान हाशमी

दोनों जहाँ से आ गया कर के इधर उधर की सैर

फ़ैज़ान हाशमी

एक मुद्दत से सर-ए-बाम वो आया भी नहीं

फ़ैज़ुल हसन

गर्मी-ए-शौक़-ए-नज़ारा का असर तो देखो

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

ज़िंदगी

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

टूटी जहाँ जहाँ पे कमंद

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

तह-ए-नुजूम

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

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