तेरी ही सैर के लिए आता रहूँगा बार बार
तेरा था सात दिन का शौक़ मेरी है उम्र भर की सैर
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मैं उस को ख़्वाब में कुछ ऐसे देखा करता था
मिरे वजूद को मौजूदगी दिखाती थी
बहुत क़दीम नहीं कल का वाक़िआ है ये
वो क्या ख़ुशी थी जो दिल में बहाल रहती थी
बस यही सोच के रहता हूँ मैं ज़िंदा इस में
तेरा बोसा ऐसा प्याला है जिस में से
दोनों जहाँ से आ गया कर के इधर उधर की सैर
बहुत सा काम तो पहले ही कर लिया मैं ने
मिला रहा हूँ तिरा हुस्न काएनात के साथ
इसी जहाज़ के सहरा में डूब जाने की
मैं अपनी ख़ुशियाँ अकेले मनाया करता हूँ