मैं उस को ख़्वाब में कुछ ऐसे देखा करता था
तमाम रात वो सोते में मुस्कुराती थी
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बहुत क़दीम नहीं कल का वाक़िआ है ये
बहुत सा काम तो पहले ही कर लिया मैं ने
अपने ख़ला में ला कि ये तुम को दिखा रहा हूँ मैं
आँखें बुझ जाएँगी शोला रह जाएगा
मिला रहा हूँ तिरा हुस्न काएनात के साथ
दोनों जहाँ से आ गया कर के इधर उधर की सैर
जिस परी पर मर मिटे थे वो परी-ज़ादी न थी
इसी जहाज़ के सहरा में डूब जाने की
वो क्या ख़ुशी थी जो दिल में बहाल रहती थी
तेरी ही सैर के लिए आता रहूँगा बार बार
सामने होते थे पहले जिस क़दर होते थे हम