सितम Poetry (page 20)

माँ

हबीब जालिब

ख़ुदा हमारा है

हबीब जालिब

औरत

हबीब जालिब

ऐ जहाँ देख ले!

हबीब जालिब

उस रऊनत से वो जीते हैं कि मरना ही नहीं

हबीब जालिब

तिरे माथे पे जब तक बल रहा है

हबीब जालिब

लोग गीतों का नगर याद आया

हबीब जालिब

कराहते हुए इंसान की सदा हम हैं

हबीब जालिब

'फ़ैज़' और 'फ़ैज़' का ग़म भूलने वाला है कहीं

हबीब जालिब

चूर था ज़ख़्मों से दिल ज़ख़्मी जिगर भी हो गया

हबीब जालिब

बातें तो कुछ ऐसी हैं कि ख़ुद से भी न की जाएँ

हबीब जालिब

सब में हूँ फिर किसी से सरोकार भी नहीं

हबीब मूसवी

जबीन पर क्यूँ शिकन है ऐ जान मुँह है ग़ुस्से से लाल कैसा

हबीब मूसवी

हुए ख़ल्क़ जब से जहाँ में हम हवस-ए-नज़ारा-ए-यार है

हबीब मूसवी

है नौ-जवानी में ज़ोफ़-ए-पीरी बदन में रअशा कमर में ख़म है

हबीब मूसवी

फ़लक की गर्दिशें ऐसी नहीं जिन में क़दम ठहरे

हबीब मूसवी

वो करम हो कि सितम एक तअल्लुक़ है ज़रूर

हबीब अहमद सिद्दीक़ी

मुझ को दिमाग़-ए-शेवन-ओ-आह-ओ-फ़ुग़ाँ नहीं

हबीब अहमद सिद्दीक़ी

और ऐ चश्म-ए-तरब बादा-ए-गुलफ़ाम अभी

हबीब अहमद सिद्दीक़ी

हैं धब्बे तेग़-ए-क़ातिल के जिसे धोने नहीं देते

हबीब आरवी

पुराने पेड़ को मौसम नई क़बाएँ दे

गुलज़ार वफ़ा चौदरी

उस सितमगर की मेहरबानी से

गुलज़ार देहलवी

वफ़ा की तश्हीर करने वाला फ़रेब-गर है सितम तो ये है

गुलज़ार बुख़ारी

टुक देखियो ये अबरू-ए-ख़मदार वही है

ग़ुलाम यहया हुज़ूर अज़ीमाबादी

जफ़ा-ए-दिल-शिकन

ग़ुलाम दस्तगीर मुबीन

तोड़ कर शीशा-ए-दिल को मिरे बर्बाद न कर

गुहर खैराबादी

हवा के हाथ में ख़ंजर है और सब चुप हैं

गोविन्द गुलशन

यास की बदली यूँ दिल पर छा गई

गोपाल कृष्णा शफ़क़

फ़िक्र-ए-सितम में आप भी पाबंद हो गए

ग़ुलाम मौला क़लक़

ज़िंदगी मर्ग की मोहलत ही सही

ग़ुलाम मौला क़लक़

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