सूरज Poetry (page 16)

देख लिया क्या जाने शाम की सूनी आँखों में

राम अवतार गुप्ता मुज़्तर

सफ़र का रुख़ बदल कर देखता हूँ

राम अवतार गुप्ता मुज़्तर

क़सीदा फ़त्ह का दुश्मन की तलवारों पे लिक्खा है

राम अवतार गुप्ता मुज़्तर

मैं उस की बात की तरदीद करने वाला था

राजेन्द्र मनचंदा बानी

नए शहरों की बुनियाद

रईस फ़रोग़

रातों को दिन के सपने देखूँ दिन को बिताऊँ सोने में

रईस फ़रोग़

मैं तो हर लम्हा बदलते हुए मौसम में रहूँ

रईस फ़रोग़

कितनी ही बारिशें हों शिकायत ज़रा नहीं

रईस फ़रोग़

फ़ज़ा उदास है सूरज भी कुछ निढाल सा है

रईस फ़रोग़

हर दौर में हर अहद में ताबिंदा रहेंगे

राही शहाबी

हर दौर में हर अहद में ताबिंदा रहेंगे

राही शहाबी

अश्क आँखों में और दिल में आहों के शरर देखे

राही शहाबी

तश्बीब

राही मासूम रज़ा

ख़्वाब

राही मासूम रज़ा

तमाम दिन मुझे सूरज के साथ चलना था

इक़बाल उमर

मैं कि वक़्फ़-ए-ग़म-ए-दौराँ न हुआ था सो हुआ

इक़बाल उमर

छतों पे आग रही बाम-ओ-दर पे धूप रही

इक़बाल उमर

वो चाँद है तो अक्स भी पानी में आएगा

इक़बाल साजिद

तुम मुझे भी काँच की पोशाक पहनाने लगे

इक़बाल साजिद

ख़त्म रातों-रात उस गुल की कहानी हो गई

इक़बाल साजिद

ग़ार से संग हटाया तो वो ख़ाली निकला

इक़बाल साजिद

ग़ार से संग हटाया तो वो ख़ाली निकला

इक़बाल साजिद

गड़े मर्दों ने अक्सर ज़िंदा लोगों की क़यादत की

इक़बाल साजिद

दहर के अंधे कुएँ में कस के आवाज़ा लगा

इक़बाल साजिद

बंद आँखों में सारा तमाशा देख रहा था

इक़बाल ख़ुसरो क़ादरी

बुझ गई दिल की किरन आईना-ए-जाँ टूटा

इक़बाल हैदर

अपने मरकज़ से अगर दूर निकल जाओगे

इक़बाल अज़ीम

आरज़ू है सूरज को आइना दिखाने की

इक़बाल अशहर

भीगी भीगी पलकों पर ये जो इक सितारा है

इक़बाल अशहर

दिल भी पत्थर सीना पत्थर आँख पे पट्टी रक्खी है

इन्तिज़ार ग़ाज़ीपुरी

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