आओ वापस चलें
रात के रास्ते पर वहाँ
नींद की बस्तियाँ थीं जहाँ
ख़ाक छानीं
कोई ख़्वाब ढूँडें
कि सूरज के रस्ते का रख़्त-ए-सफ़र ख़्वाब है
और इस दिन के बाज़ार में
कल तलक
ख़्वाब कमयाब था
आज
नायाब है
Jaun Eliya
Ahmad Faraz
Wasi Shah
Javed Akhtar
Allama Iqbal
Faiz Ahmad Faiz
Mohsin Naqvi
Habib Jalib
Rahat Indori
Parveen Shakir
Anwar Masood
Mir Taqi Mir
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रास्ते अपनी नज़र बदला किए
तश्बीब
एक मंज़र
उम्मीद
एक नज़्म सुब्ह के इंतिज़ार में
इस सफ़र में नींद ऐसी खो गई
गिरेबाँ का फ़ासला
लोग यक-रंगी-ए-वहशत से भी उकताए हैं
तन्हाई
रंग हवा से छूट रहा है मौसम-ए-कैफ़-ओ-मस्ती है
जिन से हम छूट गए अब वो जहाँ कैसे हैं
तल्ख़-ओ-तुर्श