मांग Poetry (page 6)

हल्क़ा-ए-शाम-ओ-सहर से नहीं जाने वाला

सय्यद अमीन अशरफ़

है किस के लिए लुत्फ़ ग़ज़ब किस के लिए है

सय्यद अमीन अशरफ़

वो बुत मुब्तला-तलब मेहर-तलब वफ़ा-तलब

सय्यद अाग़ा अली महर

यही था वक़्फ़ तिरी महफ़िल-ए-तरब के लिए

सय्यद आबिद अली आबिद

दिन ढला शाम हुई फूल कहीं लहराए

सय्यद आबिद अली आबिद

गंगा जी

सुरूर जहानाबादी

कहे तो कौन कहे सरगुज़श्त-ए-आख़िर-ए-शब

सुरूर बाराबंकवी

कभी अपने इश्क़ पे तब्सिरे कभी तज़्किरे रुख़-ए-यार के

सुरूर बाराबंकवी

ख़ुशियाँ न छोड़ अपने लिए ग़म तलब न कर

सुलतान रशक

ये जो हम अतलस ओ किम-ख़्वाब लिए फिरते हैं

सुल्तान अख़्तर

साँस उखड़ी हुई सूखे हुए लब कुछ भी नहीं

सुल्तान अख़्तर

रक़्स-ए-ताऊस-ए-तमन्ना नहीं होने वाला

सुल्तान अख़्तर

पस-ए-ग़ुबार-ए-तलब ख़ौफ़-ए-जुस्तुजू है बहुत

सुल्तान अख़्तर

मुसीबत में भी ग़ैरत-आश्ना ख़ामोश रहती है

सुल्तान अख़्तर

कुछ डूबता उभरता सा रहता है सामने

सुल्तान अख़्तर

किसी के वास्ते जीता है अब न मरता है

सुल्तान अख़्तर

ख़ाना-बर्बाद हुए बे-दर-ओ-दीवार रहे

सुल्तान अख़्तर

ज़ौक़ पे शौक़ पे मिट जाने को तय्यार उठा

सुलैमान अहमद मानी

दस्त-बरदार हुआ मैं भी तलबगारी से

सुहैल अख़्तर

दुनिया के कुछ न कुछ तो तलबगार से रहे

सुहैल अहमद ज़ैदी

दुनिया के कुछ न कुछ तो तलबगार से रहे

सुहैल अहमद ज़ैदी

क़िस्मत से लड़ती हैं निगाहें

सिराज लखनवी

जलती रहना शम-ए-हयात

सिराज लखनवी

मज्लिस-ए-ऐश गर्म हो या-रब

सिराज औरंगाबादी

उठे हैं हाथ तो अपने करम की लाज बचा

सिद्दीक़ मुजीबी

न पूछ मर्ग-ए-शनासाई का सबब क्या है

सिद्दीक़ मुजीबी

जब ध्यान में वो चाँद सा पैकर उतर गया

सिद्दीक़ अफ़ग़ानी

अबस है दूरी का उस के शिकवा बग़ल में अपने वो दिल-रुबा है

श्याम सुंदर लाल बर्क़

ज़लज़ला आया मकाँ गिरने लगा

शुमाइला बहज़ाद

वहशत का कहीं असर नहीं है

शोहरत बुख़ारी

Collection of Hindi Poetry. Get Best Hindi Shayari, Poems and ghazal. Read shayari Hindi, poetry by famous Hindi and Urdu poets. Share poetry hindi on Facebook, Whatsapp, Twitter and Instagram.