अलगाव Poetry (page 25)

ठहरे तो कहाँ ठहरे आख़िर मिरी बीनाई

असरारुल हक़ असरार

ज़िंदगी उलझी है बिखरे हुए गेसू की तरह

असरा रिज़वी

मैं तिरे शहर में फिरती रही मारी मारी

असरा रिज़वी

बे-सबब ख़ौफ़ से दिल मेरा लरज़ता क्यूँ है

असरा रिज़वी

वही ख़्वाबीदा ख़ामोशी वही तारीक तन्हाई

असलम कोलसरी

वो रंग उड़े हैं कुछ अब के बरस बहारों के

असलम अंसारी

लरज़ लरज़ के दिल-ए-ना-तवाँ ठहर ही न जाए

असलम अंसारी

अपनी आँखें जो बंद कर देखूँ

आसिमा ताहिर

जब से मेरे दिल में आ कर इश्क़ का थाना हुआ

आसिफ़ुद्दौला

ऐ मुझे 'मीर' के अशआ'र सुनाने वाले

अासिफ़ शफ़ी

घात

अासिफ़ साक़िब

अक्स भी कब शब-ए-हिज्राँ का तमाशाई है

अशरफ़ अली फ़ुग़ाँ

ज़ख़्म-ए-फ़ुर्क़त को तिरी याद ने भरने न दिया

अशहद बिलाल इब्न-ए-चमन

ज़र्द पत्तों पे मिरा नाम लिखा है उस ने

अशफ़ाक़ अंजुम

इक पल में क्या कुछ बदल गया जब बे-ख़बरों को ख़बर हुई

अशफ़ाक़ आमिर

बाहर का माहौल तो हम को अक्सर अच्छा लगता है

असग़र मेहदी होश

कोई दिल-जूई नहीं थी कोई शुनवाई न थी

असद जाफ़री

दो-जहाँ से मावरा हो जाएगा

असद भोपाली

एक नज़्म

असअ'द बदायुनी

उस अब्र से भी क़बाहत ज़ियादा होती है

असअ'द बदायुनी

वीराँ वीराँ बाम-ओ-दर मैं और मिरी तन्हाई

अरशदुल क़ादरी

ख़त्म होता ही नहीं सिलसिला तन्हाई का

अरशद जमाल 'सारिम'

क्या कहूँ कितनी अज़िय्यत से निकाली गई शब

अरशद जमाल 'सारिम'

रोज़-ए-अव्वल से असीर ऐ दिल-ए-नाशाद हैं हम

अरशद अली ख़ान क़लक़

ये इंतिज़ार नहीं शम्अ है रिफ़ाक़त की

अरशद अब्दुल हमीद

सर-बुलंदी मिरी तंहाई तक आ पहुँची है

अरशद अब्दुल हमीद

सुख़न के चाक में पिन्हाँ तुम्हारी चाहत है

अरशद अब्दुल हमीद

मुझ सा बेताब यहाँ कोई नहीं मेरे सिवा

अरशद अब्दुल हमीद

बस एक ही कैफ़िय्यत-ए-दिल सुब्ह-ओ-मसा है

अर्श सिद्दीक़ी

जब सितारों की रिदा काँधे से सरकाती है रात

अर्जुमंद बानो अफ़्शाँ

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