अलगाव Poetry (page 26)

हयूले

आरिफ़ अब्दुल मतीन

ज़मीं से ता-ब-फ़लक कोई फ़ासला भी नहीं

आरिफ़ अब्दुल मतीन

बाइ'स-ए-अर्ज़-ए-हुनर कर्ब-ए-निहानी निकला

अक़ील शादाब

गो मुझे एहसास-ए-तन्हाई रहा शिद्दत के साथ

अनवर शऊर

ये तन्हाई ये उज़्लत ऐ दिल ऐ दिल

अनवर शऊर

यादों के बाग़ से वो हरा-पन नहीं गया

अनवर शऊर

उन से तन्हाई में बात होती रही

अनवर शऊर

आज कुछ यूँ शब-ए-तन्हाई का अफ़्साना चले

अनवर मोअज़्ज़म

हयात-ए-राएगाँ है और मैं हूँ

अंजुम सिद्दीक़ी

सभी दरवाज़े खुले हैं मिरी तन्हाई के

अंजुम सलीमी

जब ख़ुदा भी नहीं था साथ मरे

अंजुम सलीमी

बुझने दे सब दिए मुझे तन्हाई चाहिए

अंजुम सलीमी

आती जाती हुई तन्हाई को पहचानता हूँ

अंजुम सलीमी

तन्हाई का सफ़रनामा

अंजुम सलीमी

मैं तुम्हारे लिए ले के आया हूँ

अंजुम सलीमी

हिसाब-ए-जाँ!!

अंजुम सलीमी

गिर्या

अंजुम सलीमी

आइंदगाँ की उदासी में

अंजुम सलीमी

कैसी सोहबत है कैसी तन्हाई

अंजुम सलीमी

बुझने दे सब दिए मुझे तन्हाई चाहिए

अंजुम सलीमी

कितना ढूँडा उसे जब एक ग़ज़ल और कही

अंजुम ख़लीक़

आलम-ए-वहशत-ए-तन्हाई है कुछ और नहीं

अंजुम आज़मी

मुझे इल्ज़ाम न दे तर्क-ए-शकेबाई का

अंदलीब शादानी

पहले हमारी आँख में बीनाई आई थी

अम्मार इक़बाल

हम-ज़ाद

अमजद इस्लाम अमजद

ऐ हिज्र-ज़दा शब

अमजद इस्लाम अमजद

क़िस्मत अपनी ऐसी कच्ची निकली है

अमित शर्मा मीत

इक तरफ़ प्यार है रिश्ता है वफ़ादारी है

अमित शर्मा मीत

अपने हिस्से की अना दूँ तो अना दूँ किस को

अमित शर्मा मीत

शिद्दत-ए-शौक़ से अफ़्साने तो हो जाते हैं

अमीता परसुराम 'मीता'

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