समय Poetry (page 34)

घनी-घनेरी रात में डरने वाला मैं

राजेन्द्र मनचंदा बानी

दिल में ख़ुशबू सी उतर जाती है सीने में नूर सा ढल जाता है

राजेन्द्र मनचंदा बानी

शाम को जिस वक़्त ख़ाली हाथ घर जाता हूँ मैं

राजेश रेड्डी

न जिस्म साथ हमारे न जाँ हमारी तरफ़

राजेश रेड्डी

दुनिया से, जिस से आगे का सोचा नहीं गया

राजेश रेड्डी

तुम्हारी याद

राजेन्द्र नाथ रहबर

फूल और काँटा

राजा मेहदी अली ख़ाँ

एक चेहलुम पर

राजा मेहदी अली ख़ाँ

चोर की दुआ

राजा मेहदी अली ख़ाँ

क्या बात है कि बात ही दिल की अदा न हो

राज नारायण राज़

नवा-ए-दिल ने करिश्मे दिखाए हैं क्या क्या

राज कुमार क़ैस

हिसार-ए-ज़ात से निकलूँ तो तुझ से बात करूँ

राज कुमार क़ैस

किसी का जिस्म हुआ जान-ओ-दिल किसी के हुए

रईस सिद्दीक़ी

ख़ानम-जान

रईस फ़रोग़

हमा-वक़्त जो मिरे साथ हैं ये उभरते डूबते साए से

रईस फ़रोग़

शिकवा करने से कोई शख़्स ख़फ़ा होता है

रईस अमरोहवी

माना कि तू सवार है और मैं पियादा हूँ

रईस अमरोहवी

ऐ दिल शरीक-ए-ताइफ़ा-ए-वज्द-ओ-हाल हो

रईस अमरोहवी

आख़िरी वक़्त तिरी राह से हट जाएँगे

राहुल झा

परेशाँ करने वालों को परेशाँ कौन देखेगा

रहमत इलाही बर्क़ आज़मी

आगही जिस मक़ाम पर ठहरी

रहमान जामी

शोरिश-ए-पैहम भी है अफ़्सुर्दगी-ए-दिल भी है

राही शहाबी

न शिकवे हैं न फ़रियादें न आहें हैं न नाले हैं

राही शहाबी

उम्मीद

राही मासूम रज़ा

लज़्ज़त का ज़हर वक़्त-ए-सहर छोड़ कर कोई

राही फ़िदाई

ख़ुद को मुम्ताज़ बनाने की दिली-ख़्वाहिश में

राही फ़िदाई

इक ख़्वाब नींद का था सबब, जो नहीं रहा

इरफ़ान सत्तार

चुप है आग़ाज़ में, फिर शोर-ए-अजल पड़ता है

इरफ़ान सत्तार

अब तिरे लम्स को याद करने का इक सिलसिला और दीवाना-पन रह गया

इरफ़ान सत्तार

होश जिस वक़्त भी आएगा गिरफ़्तारों को

इरफ़ान परभनवी

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